नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर एयरसाइड में तैयार टर्मिनल बिल्डिंग और एप्रन। जागरण
जागरण संवाददाता, जेवर। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर इलेक्ट्रिक ग्राउंड सपोर्ट उपकरणों (ई-जीएसई) का उपयोग करके कार्बन उत्सर्जन को शून्य रखा जाएगा। जिससे एयरपोर्ट और उसके आसपास का वातावरण बेहद सुंदर और प्रदूषण मुक्त रहेगा।
एयरपोर्ट पर ई-जीएसई वाहनों से शून्य कार्बन उत्सर्जन की वजह से वायु प्रदूषण कम होने के साथ ही ध्वनि प्रदूषण भी कम होगा जिससे यात्री और कर्मचारियों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिलेंगे। इसके लिए एयरसाइड पर ईवी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया गया है। यहां काम करने वाले वाहनों को ईवी चार्जिंग नेटवर्क उपलब्ध कराएगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
सामान और कार्गो को विमानों में लोड और अनलोड करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कन्वेयर, ट्राली और लिफ्ट बैगेज, कार्गो हैंडलिंग उपकरण डीजल व पैट्रोल के बजाय कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए इलेक्ट्रिक उपयोग किए जाएंगे।
डीजल वाहनों की अपेक्षा इलेक्ट्रिक वाहन कम बिजली खपत के साथ ही बेहद कम कंपन और शोर के स्तर के लिए डिज़ाइन किए जाते है। इन वाहनों से वायु और ध्वनि प्रदूषण को रोकने में काफी हद तक मदद मिलेगी। इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) चार्जिंग नेटवर्क वाली स्टेटिक एयरसाइड पर इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध करा रही है। स्टेटिक कंपनी इंफ्राट्रक्चर के साथ ही संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी निभाएगी।
एयरसाइड पर 7.4 किलोवाट से लेकर 240 किलोवाट तक के होंगे चार्जर
स्टेटिक छोटे इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए 7.4 किलोवाट एसी चार्जर और हाई पावर वाले तेज़ी से चार्जिंग करने में सक्षम 120 किलोवाट और 240 किलोवाट चार्जर लगाएं जा रहे हैं। इन चार्ज से विमान टग वाहनों से लेकर कार और लोडिंग अनलोडिंग के अलावा एरो ब्रिज तक का संचालन किया जाएगा।
50 प्रतिशत बिजली की जरूरत सौर व पवन ऊर्जा से होंगी पूरी
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पर्यावरण के लिए सबसे घातक कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए टाटा पावर रिन्यूएबल एनर्जी के लिए इन्फ्रा तैयार कर रहा है। टाटा पावर ने एयरपोर्ट परिसर में 10.8 मेगावाट बिजली उत्पादन को पवन ऊर्जा व 13 मेगावाट बिजली के उत्पादन के लिए सौर ऊर्जा प्लांट तैयार किए हैं।
प्रकृति का उपयोग कर हरा भरा दिखेगा एयरपोर्ट परिसर
नोएडा एयरपोर्ट परिसर में आठ एकड़ जगल भी विकसित किया गया है। जिसमें एयरपोर्ट के अंदर बड़े पैमाने पर हरियाली विकसित की जा रही है। टर्मिनल बिल्डिंग को भी इस तरीके से डिजाइन किया गया है जिससे उसके अंदर प्रराकृतिक रोशनी और हवा का आवागमन बना रहे। प्रकृति के उपयोग से कार्बन उत्सर्जन को संतुलित करने में मदद मिलेगी। |