संवादसूत्र, भटहट। महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय में औषधियों की खपत बढ़ गई है। उत्पादन को विस्तार देने के उद्देश्य से नई अत्याधुनिक फार्मेसी स्थापित की जाएगी। पंचकर्म कुटिया के समीप खाली भूमि पर इसका निर्माण प्रस्तावित है, जहां उन्नत मशीनें लगाई जाएंगी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
नई फार्मेसी विश्वविद्यालय को औषधि उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में सहायक होगी। उधर फैकल्टी भवन में चल रही फार्मेसी के नए भवन में स्थानांतरित किए जाने के बाद पोस्ट आफिस और बैंक की शाखा खोलने की तैयारी की जा रही है।
विश्वविद्यालय की ओपीडी में प्रतिदिन करीब 1200 रोगी उपचार के लिए पहुंचते हैं। वर्तमान में रोगियों को विभिन्न कंपनियों की औषधियां उपलब्ध कराई जा रही हैं, परंतु बढ़ती मांग को देखते हुए मधुमेहारी, अश्वगंधा, अर्जुन छाल चूर्ण, हरित्की, विभीत्की, मंजिष्ठा और त्रिफला चूर्ण जैसी औषधियों का उत्पादन भी किया जा रहा है।
सबसे अधिक मांग मधुमेहारी की है, जिसे आम्रस्थि मज्जा, गुड़मार, जामुन गुठली, नीम बीज, हरित्की बीज, सौंफ, हरिद्रा, आम्रगुठली, बबूल फली, विजयसार और करेला आदि से तैयार किया जाता है। अस्थायी रूप से फैकल्टी भवन में स्थापित मशीनों से उत्पादन किया जा रहा है। बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए फार्मेसी का दायरा बढ़ाना आवश्यक हो गया है।
नई फार्मेसी में औषधियों की पैकेजिंग, गुणवत्ता परीक्षण और वितरण व्यवस्था भी विकसित की जाएगी। फैकल्टी के खाली होने पर इसमें पोस्ट आफिस, बैंक शाखा और आवश्यक दुकानें खोलकर विश्वविद्यालय की सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी। नई फार्मेसी बनने के बाद पांच सौ से अधिक लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है, जिससे क्षेत्र में आयुष चिकित्सा और रोजगार दोनों को बढ़ावा मिलेगा। |