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दिल्ली HC ने कहा-PMLA में कुर्की से पहले आरोपपत्र जरूरी नहीं, 6,000 करोड़ विदेशी मुद्रा घोटाले का मामला

deltin33 14 hour(s) ago views 870

  



विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्यवाही को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं को खारिज करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। अदालत ने कहा कि पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम/Prevention of Money Laundering Act)  के तहत कुर्की से पहले आरोपपत्र अनिवार्य नहीं है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

अदालत ने कहा कि कंपनी अधिनियम- 2013 के तहत गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआइओ) को जांच का हस्तांतरण, मनी लांड्रिंग प्रिवेंशन एक्ट-2002 के तहत समानांतर कार्यवाही पर रोक नहीं लगाता है।

अदालत ने यह भी कहा कि एसएफआइओ का अधिकार केवल कंपनी अधिनियम के तहत अपराधों तक ही सीमित है और यह अन्य एजेंसियों को अन्य कानूनों के तहत अलग-अलग अपराधों की जांच करने से नहीं रोकता है।

अदालत ने यह टिप्पणी व्यापारियों द्वारा दायर विभिन्न याचिकाओं को खारिज करते हुए की। इनमें 6,000 करोड़ के विदेशी मुद्रा प्रेषण घोटाले से जुड़े प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उनकी संपत्तियों की अस्थायी कुर्की को चुनौती दी गई थी। यह घोटाला फर्जी कंपनियों और जाली व्यापार दस्तावेजों से जुड़ा था।

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि अक्टूबर 2015 में केंद्र सरकार द्वारा मामला एसएफआइओ को सौंप दिए जाने के बाद, सीबीआइ और ईडी दोनों को समानांतर जांच जारी रखने से रोक दिया गया था।

उन्होंने यह भी तर्क दिया कि उनके खिलाफ दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत कोई आरोपपत्र दायर नहीं किया गया था। हालांकि, मामले पर विचार करने के बाद पीठ ने व्यापारियों की दलीलों को खारिज कर दिया। पीठ ने फैसला सुनाया कि पीएमएलए के तहत कुर्की से पहले आरोपपत्र अनिवार्य नहीं है।

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