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बिहार चुनाव 2025 के 11 फ्लॉप स्टार: मीडिया में मिली खूब तवज्जो, जमीन पर रहे जीरो

LHC0088 2025-11-15 20:43:07 views 465

  



डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने राजनीतिक गलियारों में तहलका मचा दिया है। जहां एक ओर एनडीए ने 202 सीटों के साथ ऐतिहासिक जीत दर्ज की, वहीं महागठबंधन मात्र 35 सीटों पर सिमट गया। इस चुनाव की असली कहानी उन बड़े नामों की है, जिन्होंने चुनावी मैदान में उतरकर बड़े-बड़े दावे किए, लेकिन नतीजा विपरीत निकला। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इंटरनेट मीडिया में खूब हवा बनाई, चुनावी नतीजे के बाद मीडिया से बचते फिर रहे हैं। नाम बड़े और दर्शन छोटे की कहावत यहां चरितार्थ हुई, इनमें से कई की दावेदारी तो सीएम, डिप्टी सीएम या किंगमेकर थी। कई तो अपना खाता भी नहीं खोल सके।

इस चुनाव में कई बड़े नामों की हार ने साबित किया कि नाम की चमक से ज्यादा जमीन पर काम मायने रखता है। जनता ने आईना दिखा दिया है, अब जमीन पर रहकर 2029-30 की तैयारी करेंगे या दूसरा रास्ता देखेंगे, यह आने वाला समय बताएगा। फिलहाल बिहार ने साफ संदेश दिया है, प्रदर्शन से बड़ा नाम नहीं होता।

1. तेजस्वी प्रसाद यादव (राजद, राघोपुर): गिनती के दौरान पिछड़े, पर राघोपुर जीतने में सफल रहे। पार्टी 25 सीटों पर सिमटी। लड़ाई की रणनीति में बुरी तरह पिछड़े। महागठबंधन व राजद के शर्मनाक हार का प्रमुख चेहरा बने। सत्ता पक्ष के जंगल राज नैरेटिव को ध्वस्त नहीं कर सके। पिता के साये से हटकर अपनी पहचान बनाने में विफल रहे। मुकेश सहनी जैसे नेताओं पर ज्यादा भरोसा भारी पड़ा। एनडीए की विकास योजनाओं से मुकाबला न कर पाए।

2. प्रशांत किशोर (जन सुराज पार्टी): पार्टी ने एक भी सीट नहीं जीती, चुनावी डेब्यू में करारी हार। बड़े-बड़े दावों के बावजूद जमीन पर संगठन की कमी और वोटरों का NDA की स्थिरता पर भरोसा। सम्मानजनक मत प्रतिशत भी नहीं प्राप्त कर सके। कभी सीएम तो कभी किंगमेकर, मीडिया में माहौल बनाए रखा और जमीन पर बूथ लेवल एजेंट की व्यवस्था भी सही नहीं रख सके।

3. मुकेश सहनी (वीआईपी): विकासशील इंसान पार्टी का खाता भी नहीं खुलवा पाए। पहले सीटों के नंबर को लेकर फिर डिप्टी सीएम पद की घोषणा के लिए खूब चर्चा में रहे। राहुल गांधी और तेजस्वी के साथ मंच पर, रणनीति में शामिल रहे। महागठबंधन की करारी हार का प्रमुख चेहरा बने। चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी के साथ मछली पकड़ कर सुर्खियां बटोरी।

4. तेज प्रताप यादव (जनशक्ति जनता दल, महुआ): राजद ने पार्टी से निकाला, तेजस्वी के खिलाफ जा कर लगातार चर्चा में बने रहे। अपनी पार्टी बनाई, खुद भी हारे, किसी को वोट भी नहीं दिलवा सके। तीसरे स्थान पर रहे। 35703 वोट ही मिल पाया। यहां एलजीपी-आर के संजय कुमार सिंह ने राजद के मुकेश कुमार रौशन को 44,997 वोटों से हराया।

5. राजेश कुमार (कांग्रेस, कुटुम्बा): कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हो कर भी अपनी जीत सुनिश्चित नहीं कर पाए। पार्टी का भी बुरा प्रदर्शन। कांग्रेस को 61 सीट पर लड़कर मात्र 6 सीटों पर जीत मिली। स्वयं हम के ललन राम से 21525 वोटों से हार गए। महागठबंधन में समन्वय कई बार नजर आया।

6. शकील अहमद खान (कांग्रेस, कदवा): कांग्रेस के बड़े नेता। बंगाल के प्रभारी व कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव भी रहे हैं। कांग्रेस की समग्र कमजोरी और महागठबंधन में एकजुटता की कमी से विपक्षी वोट बंट गए। विधायक रहे शकील को हार का सामना करना पड़ा। यहां भाजपा के दुलाल चंद्र गोस्वामी ने 18368 वोटों से जीत हासिल की है।

7. मनीष कश्यप (जन सुराज पार्टी, चनपटिया): इंटरनेट मीडिया के स्टार बुरी तरह हारे। चनपटिया में कांग्रेस के अभिषेक रंजन ने BJP के उमाकांत सिंह को 602 वोटों से हराया। 37172 वोट ला कर मनीष तीसरे स्थान पर रहे। अपने वीडियोज व बयानों से लगातार छाए रहे, जमीन पर वोट कंवर्ट नहीं करा पाए।

8. शिवदीप लांडे (निर्दलीय, अररिया): फेमस आईपीएस रहे हैं। बिहार की राजनीति को समझने में विफल रहे। चौथे स्थान पर रहे। मात्र 4085 वोट मिले। यहां कांग्रेस के अबिदुर रहमान ने जदयू की शगुफ्ता अजिम को 15741 मतों‌ से हराया। तीसरे नंबर पर ओवैसी की पार्टी रही।

9. पुष्पम प्रिया (द प्लूरल्स पार्टी, अररिया): दरभंगा सीट पर टीपीपी सुप्रीमो पुष्पम प्रिया 8वें नंबर पर रही। मात्र 1403 वोट मिले। यहां नोटा पर 1468 वोट पड़े। लगातार दूसरे चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है।

10. रितु जायसवाल (निर्दलीय, परिहार): राजद की महिला प्रदेश अध्यक्ष रह चुकी हैं। परिहार से भाजपा से गायत्री देवी दूसरी बार जीतीं। 17189 वोटों से हार कर रितु दूसरे स्थान पर रहीं। इंटरनेट मीडिया पर बड़े-बड़े दावों का फायदा जमीन पर कम मिला। हालांकि राजद से अलग हो कर निर्दलीय 65455 वोट लाना अचीवमेंट ही माना जाएगा।

11. केसी सिन्हा (जनुसराज, कुम्हरार): बड़े गणितज्ञ व एजुकेशिनस्ट। चर्चा में बने रहे। जन सुराज के मजबूत उम्मीदवार थे। संगठन की कमजोरी और कम राजनीतिक समझ का नुकसान हुआ। 15017 वोट लाकर तीसरे नंबर पर रहे। यहां से भाजपा के नए उम्मीदवार संजय कुमार ने कांग्रेस के इंद्रदीप कुमार चंद्रवंशी को 47524 वोट से हराया।
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