कांग्रेस सांसद राहुल गांधी। PTI
राज्य ब्यूरो, पटना। चुनाव के बाद दो दिन का इंतजार और फिर सीटों की गिनती का वक्त भी आ गया। शुक्रवार की दोपहर तक तस्वीर साफ हो जाएगी कि बिहार की गद्दी पर कौन बैठेगा। दूसरी ओर नतीजों (Bihar Election Result 2025) के जरिये ही बिहार में कांग्रेस का भविष्य भी तय होगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
लंबे समय से राज्य की राजनीति में पिछड़ी भूमिका में रही कांग्रेस विधानसभा चुनाव 2025 में प्रदेश में अपनी अलग पहचान बनाने और राजद की छवि से बाहर आने की जद्दोजहद करती दिखी। अब नतीजे तय करेंगे कि कांग्रेस की मेहनत रंग लाई या फिर यूं ही अगले पांच साल और मायूसी में कटेंगे।
बिहार में कांग्रेस बीते दो दशकों से राजद की सहयोगी की भूमिका में रही है, परंतु इस चुनाव उसने अपनी पहचान को प्रतिष्ठा से जोड़कर भरपूर जोर लगाया। राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, मल्लिकार्जुन खरगे, केसी वेणुगोपाल जैसे शीर्ष नेता लगातार बिहार में दिखे।
राहुल गांधी ने कई जनसभाओं में जनता से सीधे संवाद किया। प्रियंका गांधी की सभाओं में भी महिलाओं और युवाओं की अच्छी भागीदारी दिखी। मल्लिकार्जुन खरगे ने संगठन की मजबूती पर जोर देते हुए यह संदेश देने की कोशिश की कि कांग्रेस अब किसी की परछाई नहीं बनेगी, बल्कि खुद की दिशा तय करेगी।
पार्टी के स्तर पर भी प्रचार में मुद्दों को भी नए सिरे से परिभाषित करने की कोशिश की। बेरोजगारी, महंगाई, शिक्षा, और महिला सुरक्षा जैसे विषयों पर केंद्रित कार्यक्रम, रैलियों में कांग्रेस ने युवाओं को जोडऩे का प्रयास किया। राहुल गांधी ने वोटर अधिकार यात्रा के जरिये युवाओं से सीधा संवाद साधा।
इंटरनेट मीडिया पर भी पार्टी आक्रामक रूप से सक्रिय दिखी। मीडिया तक में सक्रियता दिखाई। कांग्रेस कमेटी को दावा भी है कि इस बार पार्टी ने जमीन से जुड़कर काम किया है, केवल नेताओं के भाषणों पर भरोसा नहीं रखा।
बावजूद, ऐसे तमाम दावों के बीच अब सबकी निगाहें 14 नवंबर के परिणामों पर टिकी हैं। अगर कांग्रेस को अपेक्षित सीटें मिलीं, तो यह न केवल राज्य में उसकी स्थिति मजबूत करेगी बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी कांग्रेस नेतृत्व के आत्मविश्वास को बढ़ाएगी, लेकिन अगर परिणाम उम्मीदों के अनुरूप नहीं आए, तो सवाल फिर उठेंगे कि क्या कांग्रेस अब भी राजद की छाया में ही सिमटी रहेगी या वह सचमुच अपने बलबूते खड़ी होने का रास्ता तलाश पाएगी?
नतीजे चाहे जो हों, एक बात तय है—इस चुनाव में कांग्रेस ने बिहार में अपनी पहचान के लिए संघर्ष जरूर किया है। यह जद्दोजहद आने वाले वर्षों में पार्टी की दिशा और भविष्य तय करेगी। |