कुमार रजत, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव का परिणाम अब बस कुछ घंटे दूर है। यह परिणाम छोटे और नए दलों के लिए आगे की राह भी तय करेगा। जातीय और क्षेत्रीय प्रभाव वाले दलों की गठबंधन के अंदर हैसियत तय करने में चुनाव परिणाम बड़ी भूमिका निभाएगा। इनमें मुकेश सहनी की पार्टी विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी), जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम), उपेन्द्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) आदि प्रमुख हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इसके अलावा इस चुनाव में पहली बार उतरीं प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज, आइपी गुप्ता की पार्टी इंडियन इंक्लूसिव पार्टी (आईआईपी) और तेजप्रताप यादव की पार्टी जनशक्ति जनता दल (जेजेडी) के प्रदर्शन पर भी सभी की नजर होगी।
इस चुनाव में नए दलों में सबसे अधिक सुर्खियां जनसुराज ने बटोरीं। प्रशांत किशोर ने करीब तीन साल पहले से ही विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी थी। पदयात्रा से लेकर राजनीतिक दल बनाने और फिर प्रत्याशियों के नाम के एलान तक सधी रणनीति दिखाई गई। मीडिया में न केवल अपनी राजनीतिक ताकत का बल्कि विरोधियों के कम सीटों पर सिमटने का बढ़-चढ़कर बयान भी दिया गया।
हालांकि चुनाव प्रचार के दौरान बनाया गया माहौल मतदान के दौरान कहीं मिसिंग दिखा। एग्जिट पोल ने भी पार्टी के शून्य से लेकर एकल अंकों तक ही सिमटने की अटकलें लगाई हैं। ऐसे में जनसुराज का प्रदर्शन और उसे मिले वोट प्रतिशत यह बताएंगे कि आगे इस राजनीतिक दल को कितनी गंभीरता से लेने की जरूरत है।
इसी तरह महागठंधन में वीआइपी का प्रदर्शन और स्ट्राइक रेट भी महत्वपूर्ण होगा। निषाद वोटबैंक पर दावा करने वाले मुकेश सहनी ने पिछले विधानसभा चुनाव में चार सीटें जीती थीं। इस बार वह महागठबंधन की ओर से डिप्टी सीएम फेस बनाए गए थे, ऐसे में उनके दलों की सीटों की संख्या पर सभी की नजर होगी।
मांझी-कुशवाहा में कौन रहेगा आगे:
एनडीए के अंदर जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा के दल की हैसियत भी विधानसभा चुनाव का परिणाम तय करेगा। एनडीए की ओर से दोनों ही दलों को बराबर छह-छह सीटें दी गई हैं। ऐसे में दोनों दलों के बीच अधिक सीटें जीतकर एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ भी होगी। इन दलों का स्ट्राइक रेट आगे के चुनाव में दोनों दलों की सीटों की दावेदारी और मजबूत करेगा।
तेजप्रताप और आईपी गुप्ता की जीत से पार्टी होगी मजबूत:
इस चुनाव में तेजप्रताप यादव की नई पार्टी जेजेडी करीब 22 सीटों और आइपी गुप्ता की नई पार्टी आईआईपी तीन सीटों पर लड़ रही है। इनके दल के प्रदर्शन से अधिक निगाहें इनके अध्यक्षों की जीत-हार पर है।
तेजप्रताप महुआ से तो आईपी गुप्ता महागठबंधन की ओर से सहरसा से प्रत्याशी हैं। अगर इन दोनों दलों के प्रमुख चुनाव जीत जाते हैं, तो यह इन दलों के लिए संजीवनी से कम नहीं होगा। प्रमुख के चुनाव हारने पर इन दोनों दलों के लिए आगे की राह और कठिन हो सकती है। |