विधि संवाददाता, पटना। पटना हाई कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से संबंधित स्पेशल ट्रायल (पीएमएलए) नंबर 10/2024 में 8 जनवरी 2025 को पारित विशेष पीएमएलए अदालत, पटना के संज्ञान आदेश को निरस्त कर दिया है।
न्यायाधीश अरुण कुमार झा की एकलपीठ ने माना कि विशेष अदालत ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), 2023 की धारा 223(1) के अनिवार्य प्रावधान का उल्लंघन किया है, जिसके अनुसार आरोपी को सुनवाई का अवसर दिए बिना किसी मामले में संज्ञान नहीं लिया जा सकता। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्णय कुशल कुमार अग्रवाल बनाम ईडी (2025) का हवाला देते हुए दोहराया कि धारा 223(1) आरोपी को पूर्व-संज्ञान सुनवाई का मौलिक और अनिवार्य अधिकार देती है, और इसके पालन में चूक होने पर संज्ञान आदेश स्वतः निरस्त हो जाता है।
हाई कोर्ट ने याचिका में हुई 88 दिनों की देरी को माफ करते हुए संज्ञान आदेश को रद्द कर दिया तथा मामले को पुनः विशेष पीएमएलए अदालत को भेज दिया है। अदालत ने निर्देश दिया कि विशेष न्यायाधीश आरोपी को विधिवत सुनवाई का अवसर प्रदान कर, कानून के अनुसार दोबारा संज्ञान पर विचार करें। |