उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग
राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ: प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग (संशोधन) अध्यादेश, 2025 को स्वीकृति दे दी है। इस संशोधन के तहत अब आयोग के अध्यक्ष पद पर केवल भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी ही नहीं, बल्कि राज्य सरकार में प्रमुख सचिव या उनके समकक्ष पद पर कार्य कर चुके अधिकारी भी नियुक्त हो सकेंगे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
कैबिनेट बाई सर्कुलेशन इसकी स्वीकृति मिल गई है। सेवा नियमावली में संशोधन होने के बाद जल्द ही आयोग को नया अध्यक्ष मिल सकता है। नियमावली में विस्तार से आयोग में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल बढ़ाना, परीक्षाओं को समयबद्ध तरीके से कराना और चयन प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बनाना है।
इससे पहले अधिनियम में यह व्यवस्था थी कि आयोग का अध्यक्ष वही व्यक्ति बन सकता है जो भारतीय प्रशासनिक सेवा का सदस्य रहा हो और राज्य सरकार में प्रमुख सचिव या उसके समकक्ष पद पर कार्य कर चुका हो। लेकिन अब संशोधन के बाद यह दायरा बढ़ा दिया गया है। इसमें संशोधन करते हुए भारतीय प्रशासनिक सेवा का सदस्य हो के स्थान पर राज्य सरकार में प्रमुख सचिव का पद या उसके समकक्ष पद पर हो या हो रहा हो प्रतिस्थापित किया गया है।
उच्च शिक्षा विभाग का कहना है कि आयोग के कामकाज में पारदर्शिता, निष्पक्षता और तकनीकी दक्षता सुनिश्चित करने के लिए अनुभवी और सक्षम व्यक्तित्व की आवश्यकता है। यही कारण है कि पात्रता की शर्तों को थोड़ा लचीला किया गया है, ताकि अधिक योग्य और अनुभवी लोगों को अध्यक्ष पद के लिए अवसर मिल सके।
उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग का गठन वर्ष 2023 में किया गया था। यह आयोग उच्च शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा और बेसिक शिक्षा विभागों के लिए टीईटी, टीजीटी, पीजीटी, असिस्टेंट प्रोफेसर आदि पदों की भर्ती परीक्षाएं आयोजित करता है। चयन आयोग की अध्यक्ष प्रो. कीर्ति पांडेय के इस्तीफे के बाद से आयोग के अध्यक्ष पद के लिए 21 अक्टूबर तक आवेदन मांगे गए थे। बताया जा रहा है कि 67 लोगों ने इसके लिए आवेदन किया है।
इसमें प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी ने भी आवेदन किया है। अभी तक प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी के अलावा वर्तमान या पूर्व कुलपति, तीन वर्ष की प्रशासनिक पद पर कार्य करने वाले न्यूनतम 10 वर्ष तक प्रोफेसर इसके लिए आवेदन कर सकते थे। |