सांकेतिक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, बदायूं। भाजपा मंडल अध्यक्ष से मारपीट व लूटपाट के मामले में अब पासा उल्टा पड़ गया है। इसमें कोर्ट ने मंडल अध्यक्ष व उनके साथी के खिलाफ ही बयान से मुकरने पर कार्रवाई के आदेश दिए हैं। इसके अलावा उन पर कार्रवाई करने में लापरवाही बरतने पर इंस्पेक्टर क्राइम भी लपेटे में आ गए हैं। उन्हें अलग से प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश दिए गए थे लेकिन उन्होंने पुराने मामले में ही धाराएं बढ़ा दीं और बला को टाल दिया लेकिन कोर्ट ने इसको गंभीरता से लेते हुए विवेचना पर सवाल उठाते हुए इंस्पेक्टर क्राइम को छह माह का प्रशिक्षण दिलाने का आदेश दिया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
जानलेवा हमला और लूटपाट की प्राथमिकी दर्ज कराने वाले भाजपा मंडल अध्यक्ष की बढ़ी मुश्किलें
यह मामला 21 अक्टूबर की रात का है। सिविल लाइंस थाना क्षेत्र के मुहल्ला आदर्श नगर निवासी मयंक सक्सेना द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी के अनुसार वह अपनी बाइक लेकर ओवर ब्रिज के नजदीक संतोख सिंह तिराहे के नजदीक से गुजर रहे थे। वहां पर पहले से मौजूद आदित्य यादव, हर्षित और ऋषभ मौजूद थे।
मुकरने पर कोर्ट दे चुका है कार्रवाई के आदेश
आरेपितों ने उन्हें रोक लिया और मारपीट शुरू कर दी। उसी दौरान भाजपा के मंडल अध्यक्ष गोपाल शर्मा वहां से गुजर रहे थे। यह देखकर उन्होंने मयंक सक्सेना को बचाने का प्रयास किया था लेकिन आरोपितों ने उनके ऊपर ही हमला कर दिया था और उनके साथ भी मारपीट की थी। उनसे लूटपाट भी की गई थी। इस संबंध में उन्होंने जानलेवा हमला और लूटपाट के आरोप में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इसके दूसरे दिन पुलिस ने तीनों आराेपितों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था और इसमें चौकी पुलिस की लापरवाही मानते हुए चौकी इंचार्ज समेत तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित भी कर दिया गया था। यह मामला काफी सुर्खियों में भी रहा।
शपथ पत्र देकर बयानों से मुकर गए थे
इधर बताया जा रहा है कि जेल जाने के बाद आरोपितों ने अपनी जमानत कराने को न्यायालय में प्रार्थना पत्र पेश कराया था। चार नवंबर को इसकी सुनवाई के दौरान इंस्पेक्टर क्राइम विजय बहादुर सिंह भी न्यायालय में मौजूद थे। इसके वादी मयंक सक्सेना व गोपाल शर्मा ने शपथ पत्र देकर बयानों से मुकर गए थे। उन्होंने कहा था कि आरोपितों के सामने कोई घटना नहीं हुई। इस पर अपर सत्र न्यायाधीश विशेष न्यायाधीश दस्यु प्रभावित क्षेत्र न्यायाधीश रिंकू ने दोनों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए थे। जब सात नवंबर को दोबारा सुनवाई हुई। तब न्यायालय ने सीधा सवाल किया कि जो लोग बयानों से मुकर गए। उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की।
एसएसपी को दिए आदेश
इंस्पेक्टर क्राइम को तीन दिन का समय दिया गया था। उन्होंने चार नवंबर से सात नवंबर सुबह तक कोई कार्रवाई नहीं की और दोपहर 12:30 बजे एक जीडी पर पर्चा दाखिल कर दिया और पुराने मामले में ही धारा 229 बीएनएस की बढ़ोतरी कर दी जबकि ऐसा संभव नहीं था। उन्होंने वादी और मंडल अध्यक्ष के बयान तक दर्ज नहीं किए। इसमें विवेचक ने घोर लापरवाही बरती। इसलिए उनको प्रशिक्षण की आवश्यकता है। उन्होंने एसएसपी को आदेश दिया कि अपराध निरीक्षक को छह माह का प्रशिक्षण कराया जाए और सीओ सिटी को निरीक्षण अधिकारी नियुक्त किया जाए। वह प्रशिक्षण के समय मानिटरिंग करेंगे। इस कार्रवाई को पांच दिन के अंदर न्यायालय को अवगत कराया जाए, जिससे दोबारा ऐसी लापरवाही न हो।
बयानों से मुकरने पर मिली आरोपितों को जमानत
मयंक सक्सेना ने ही उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी और खुद उनके होने से इन्कार कर दिया। और तो और जो मंडल अध्यक्ष गोपाल शर्मा खुद को मारपीट में घायल बता रहे थे। वो भी अपने बयानों से मुकर गए। दोनों ने न्यायालय को शपथ देकर बताया था कि जिन लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई। उन लोगों ने मारपीट नहीं की थी। जबकि आरोपितों का कहना था कि यह मामला राजनीतिक षड्यंत्र था। उनको झूठा फंसाया गया था। इससे सभी की जमानत हो गई। |