LHC0088 • 2025-11-12 13:36:33 • views 158
सेक्टर 52 के पास छाया स्मॉग। जागरण
जागरण संवाददाता, नोएडा। सर्दी बढ़ते ही दिल्ली एनसीआर के शहरों में लगातार बिगड़ती हवा की गुणवत्ता को देखते हुए कमीशन फार एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (सीएक्यूएम) का ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) का तीसरा चरण मंगलवार को लागू हो गया। इससे अब विभिन्न साइटों पर निर्माण कार्य पर पाबंदी होगी। बीएस तीन व चार मानक के ईंधन संचालित वाहनों की आवाजाही प्रतिबंधित होगी। आम लोगों के सुबह घर के बाहर टहलने से भी परहेज करना होगा। खासकर जो लोग सांस की बीमारी की पीड़ित हैं, उन्हें घर से बाहर निकलने से परहेज करनी पड़ेगी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
मंगलवार को देश में दिल्ली के बाद सबसे अधिक प्रदूषित शहर में नोएडा दूसरे स्थान पर रहा। यहां का एक्यूआई 425 गंभीर श्रेणी में दर्ज किया गया। यहां तो वायु गुणवत्ता इतनी खराब रही कि सांस लेने में लोगों को परेशानी हुई और आंखों में जलन तक महसूस हुई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक नोएडा में सुबह 10 बजे एक्यूआई 415 गंभीर श्रेणी में दर्ज किया गया।
सुबह 11 बजे 422 और दोपहर दो बजे 424 तक पहुंच गया। सेक्टर 125 में 416, सेक्टर 116 में 429 और सेक्टर एक में वायु की गुणवत्ता का सूचकांक 416 दर्ज किया गया। सेक्टर एक की हवा सबसे अधिक प्रदूषित दर्ज की गई। नोएडा में शाम को वायु की गुणवत्ता का सूचकांक शाम चार बजे 426 तक पहुंच गया था।
इसी तरह से ग्रेटर नोएडा का एक्यूआई भी 406 गंभीर श्रेणी में दर्ज किया गया। बावजूद इसके यहां न तो स्प्रिंगलर सिस्टम से पानी का छिड़काव होता दिखा, न ही बीएस तीन व चार श्रेणी के वाहनों के खिलाफ कोई विशेष अभियान चलाया गया। आम दिनों की तरह सड़क वाहनों की आवाजाही होती रही।
मंगलवार गौतमबुद्ध नगर की हवा रही सबसे अधिक प्रदूषित
हर साल की तरह इस बार भी सर्दी बढ़ने के साथ ही प्रदूषण में भी इजाफा होने लगा। जिससे हवा की सेहत भी खराब होती गई। इस साल में अक्टूबर से लेकर मंगलवार तक पहली बार एक्यूआई 425 के पार गया है। 400 से अधिक एक्यूआई होने पर ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन ग्रेप-तीन लागू हो जाता है। लेकिन जगह-जगह ग्रेप के नियमों की धज्जियां उड़ती दिखी।
ग्रेप तीन के तहत लगती हैं ये पाबंदी
- गैर जरूरी निर्माण कार्य, ध्वस्तीकरण, पुराने डीजल वाहनों पर पाबंदी
- सीमेंट, बालू जैसे सामानों की आवाजाही पर रोक लग जाती है।
- अंतरराज्यीय डीजल बसों पर भी रोक लग जाती है।
- स्टोन क्रशर और खनन संबंधी गतिविधियों पर रोक
- आपात सेवाओं को छोड़कर डीजल जनरेटरों पर रोक
इस प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर बच्चे और बुजुर्ग पर पड़ रहा है। अगर साधारण दिनों में हम 20 मरीज देखते थे तो इन दिनों में हम 40 मरीज देख रहे हैं। इसका एक प्रमुख कारण हवा का प्रदूषित होना ही है। लोगों में सांस की बीमारी, आंखों में जलन की समस्या आ रही हैं। उन्हें कहा जा रहा है मास्क लगाए, बिना आवश्यकता के बाहर न निकले, पौष्टिक आहार लें। -
- डॉ. मयंक सक्सेना,फेफड़ा रोग विशेषज्ञ |
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