जिले में 31 स्थानों पर डेथ जोन।
संवाद सूत्र, अयोध्या। जिले से होकर निकले हाईवे पर चल रहे हैं, तो सचेत रहिएगा। प्रयागराज हो अथवा लखनऊ या फिर रायबरेली और आजगमढ़ को जोड़ने वाला हाईवे। इन राजमार्गों पर 31 स्थानों पर डेथ जोन हैं, जहां वाहन चलाने में थोड़ी भी असावधानी सीधे जान ले सकती है, या फिर जीवनभर के लिए दिव्यांग बना सकती है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
कुछ समय पश्चात कोहरे की चादर भी हाईवे को ढंक लेगी, लेकिन ब्लैक स्पाट के रूप में उपस्थित इन स्थानों पर बचाव के समुचित प्रबंध नहीं हो सके हैं। जिले में हर साल सड़क हादसे होते हैं।
इन हादसों में बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो जाती है तो कुछ लोग गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं। कुछ हादसों में दूसरे वाहन से टक्कर होती है तो कहीं पर ड्राइवर को समझ ही नहीं आता और हादसा हो जाता है। ऐसी जगहों को ब्लैक स्पाट कहा जाता है।
पटरंगा, रुदौली, रौनाही, कैंट, कोतवाली नगर, कोतवाली अयोध्या, महराजगंज, बीकापुर, पूराकलंदर, इनायतनगर थाना क्षेत्र में कई ब्लैक स्पाट मिले हैं। प्रयागराज हाईवे पर बिसुही नदी पर बने पुल के दोनों छोर पर आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं। पुल कमजोर होने का सूचना पट लगा है। हाल ही में पुल के दोनों तरफ स्पीड ब्रेकर बनाया गया है।
कुमारगंज में रायबरेली हाईवे पर पिठला एवं बरईपारा गांव दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्र कहा जाता है। उपजिलाधिकारी मिल्कीपुर सुधीर कुमार ने बताया कि दुर्घटना वाले क्षेत्रों में संकेतक बोर्ड लगाने का नियम है। सर्दी का समय आ गया है। कोहरा को दृष्टिगत रखते हुए बचाव का प्रबंध करने का निर्देश दिया गया है।
ये हैं ब्लैक स्पॉट
पटरंगा में रानीमऊ, असरफपुर, रुदौली में कुढ़ा सादात, रौजागांव, भेलसर, लोहियापुल, रौनाही में बरसेंडी, अरकुना, तहसीनपुर, सालारपुर, कैंट में मुमताजनगर, सआदतगंज, मऊशिवाला, कोतवाली नगर में जनौरा, नाका बाइपास, नवीन मंडी, कोतवाली अयोध्या में बूथ नंबर चार, बालूघाट, नयाघाट, महराजगंज में पूराबाजार, बीकापुर में चौरेबाजार, मंगारी, खजुरहट, बीकापुर कस्बा, जलालपुर, पूराकलंदर में डाभासेमर, मसौधा, इनायतनगर में कुचेरा, बारुन व तारुन में मीतनपुर ब्लैक स्पाट के रूप में चिह्नित हैं।
क्या होता है ब्लैक स्पॉट
मार्ग पर जिस जगह बार-बार हादसे होते हैं, उन्हें ब्लैक स्पाट कहा जाता है। किसी सड़क, हाईवे, एक्सप्रेस वे पर अगर एक ही जगह तीन साल में पांच सड़क हादसे हो जाएं अथवा किसी स्थान पर तीन साल में दस मौतें हो जाएं तो उसे ब्लैक स्पाट घोषित कर दिया जाता है। हादसे के आसपास का 500 मीटर का एरिया ब्लैक स्पाट माना जाता है। |