जैश-ए-मोहम्मद का सफेदपोश नेटवर्क ध्वस्त (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता की वजह से लंबे समय तक कोई वारदात नहीं कर पाने से निराश आतंकियों ने अपना तरीका बदला है। वे ऐसे लोगों को अपने साथ जोड़ रहे हैं जो समाज में सम्मानित हैं और उनकी गतिविधियों पर सामान्यत: संदेह नहीं होता। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवत उल हिंद (एजीएच) के ऐसे ही अंतरराज्यीय सफेदपोश (व्हाइट कॉलर) आतंकी माड्यूल का भंडाफोड़ हुआ है। ये आतंकी कश्मीर से दिल्ली तक विभिन्न शहरों को दहलाने के एक बड़े षड्यंत्र पर काम कर रहे थे। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हरियाणा और उत्तर प्रदेश तक छापेमारी कर माड्यूल में शामिल तीन डाक्टरों समेत आठ लोगों को गिरफ्तार किया है।
क्या-क्याहुआ बरामद?
इनमें लखनऊ की रहने वाली एक महिला डाक्टर भी है। अन्य दोनों डाक्टर कश्मीर के रहने वाले हैं। पकड़े गए आतंकियों के कश्मीर, फरीदाबाद (हरियाणा) और सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) स्थित ठिकानों से लगभग 2923 किलो विस्फोटक पदार्थ, कई राइफलें व अन्य सामान भी बरामद किए गए हैं।
रविवार को आतंकी डॉ. मुजम्मिल अहमद गनई उर्फ मुसैब के फरीदाबाद के फतेहपुर तगा गांव में एक मकान से 360 किलोग्राम आमोनियम नाइट्रेट, एक केंटोप असाल्ट राइफल, पांच मैगजीन, 91 ¨जदा कारतूस, एक पिस्टल और आठ बड़े व चार छोटे सूटकेस, 20 टाइमर, चार बैटरी टाइमर और वाकी-टाकी सेट बरामद हैं।
सोमवार को गांव में स्थित दूसरे मकान से 89 कट्टों में रखा हुआ 2563 अमोनियम नाइट्रेट बरामद हुआ। पुलवामा में कोईल गांव का डा. मुजम्मिल कुछ वर्ष से फरीदाबाद स्थित अल-फलाह अस्पताल में काम कर रहा था। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने बीते माह पांच लोगों को पकड़ा था, जिनसे पूछताछ के आधार पर कुलगाम के काजीगुंड के रहने वाले डा. आदिल अहमद राथर को सहारनपुर से गिरफ्तार किया गया।
आदिल सहारनपुर के फेमस मेडिकेयर अस्पताल में काम कर रहा था। वह 24 अक्टूबर, 2024 तक अनंतनाग के गवर्नमेंट मेडिकल कालेज में सीनियर रेजिडेंट रह चुका है। नौकरी छोड़ने के बावजूद मेडिकल कालेज के उसके लाकर से एक एसाल्ट राइफल व कुछ अन्य आपत्तिजनक सामान बरामद किया गया है। उससे पूछताछ के आधार पर पुलिस फरीदाबाद की अल-फलाह मेडिकल यूनिवर्सिटी में फिजिशियन डॉ. मुजम्मिल तक पहुंची।
पकड़े गए पांच अन्य सदस्यों में आरिफ निसार डार उर्फ साहिल, यासिर-उल-अशरफ और मकसूद अहमद डार उर्फ शाहिद तीनों ही श्रीनगर के नौगाम के रहने वाले हैं। मौलवी इरफान अहमद (मस्जिद का इमाम) जिला शोपियां और जमीर अहमद अहंगर उर्फ मुतलाशा गांदरबल क वाकूरा के रहने वाले हैं।
लखनऊ की रहने वाली है डा. शाहीन
फरीदाबाद के पुलिस आयुक्त सतेंद्र गुप्ता ने बताया कि डा. मुज्जमिल को 12 दिन पहले जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ संयुक्त आपरेशन में पकड़ा गया था। उसकी साथी महिला डाक्टर शाहीन को यूनिवर्सिटी से ही पकड़ा गया है। आरोप है कि उसने डा. मुज्जमिल को कार उपलब्ध कराई थी। वह लखनऊ के लाल बाग की रहने वाली है।
पुलिस ने मस्जिद के इमाम और एक अन्य आरोपित को भी हिरासत में लिया है, जिन्होंने डाक्टर को विस्फोटक सामग्री छिपाने के लिए मकान किराए पर दिए थे। इमाम की पत्नी का कहना है कि वह 20 साल से धौज गांव में रहते हैं। उनका पूरे मामले से कोई लेना देना नहीं है। पुलिस ने इमाम के परिवार के सभी फोन सीज कर दिए।
अल-फलाह को 2015 में मिली थी यूजीसी से मान्यता
फरीदाबाद के मुस्लिम बहुल गांव में स्थित अल-फलाह मेडिकल कालेज के रूप में 2006 में स्थापित हुआ था। 2015 में यूजीसी ने इसको यूनिवर्सिटी की मान्यता दी। अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा स्थापित यूनिवर्सिटी का परिसर लगभग 76 एकड़ में फैला हुआ है। अस्पताल अल-फलाह स्कूल आफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर का ही एक हिस्सा है। अल-फलाह यूनिवर्सिटी में ही 650 बेड का चैरिटेबल अस्पताल भी है। संस्थान के चेयरमैन जवाहर सिद्धिकी बताए गए हैं।
इंटरनेट मीडिया से पाकिस्तान व अन्य देशों में संपर्क में थे
सूत्रों के मुताबिक, इस माड्यूल के सदस्य इंटरनेट मीडिया और अन्य माध्यमों के जरिए न सिर्फ आपस में बल्कि पाकिस्तान, गुलाम जम्मू-कश्मीर और कई देशों में स्थित अपने हैंडलरों के संपर्क में थे। यह माड्यूल आतंकियों का महिमांडन करने, नए आतंकियों की भर्ती करने व आतंकी संगठनों के लिए विभिन्न तरीकों से पैसे का बंदोबस्त करने के अलावा आतंकी हमलों के लिए टारगेट भी तय करने में जुटा था।
श्रीनगर में भी था बड़े धमाके का षड्यंत्र सूत्रों ने बताया कि यह माड्यूल अगले कुछ दिनों में श्रीनगर और जम्मू-कश्मीर के बाहर दिल्ली समेत देश के कुछ अन्य शहरों में एक बड़े आतंकी हमले की तैयारी में था। हमलों को अंजाम देने के लिए विभिन्न जगहों पर विस्फोटक जमा किए जा रहे थे। इनके पास से बरामद दस्तावेजों में आइइडी व अन्य विस्फोटक तैयार करने की जानकारी भी है। यह माड्यूल सामाजिक व धर्मार्थ कार्यों की आड़ में धन भी जुटा रहा था। इस माड्यूल ने गत माह श्रीनगर में एक बड़े धमाके का भी षड्यंत्र रचा था, जो अंतिम समय में टाल दिया गया था।
यह सफेदपोश आतंकी नेटवर्क है
माड्यूल में शामिल डॉ. आदिल व डा. मुजम्मिल समेत अधिकांश सदस्यों के खिलाफ पहले कभी कोई आतंकी या अलगाववादी गतिविधियों का मामला दर्ज नहीं है। सिर्फ दो के खिलाफ पत्थरबाजी के मामले दर्ज होने की सूचना है। यह एक सफेदपोश आतंकी नेटवर्क है। इन आतंकियों की मौजूदा और पुरानी पृष्ठभूमि प्रत्यक्ष तौर पर पूरी तरह से सामान्य नजर आती है।
Delhi Blast: दिल्ली में ब्लास्ट वाली जगह पर पहुंची NSG की टीम, कौन-कौन सी एजेंसियां मौजूद? पूरा अपडेट |