कफ सीरप मामले में नया खुलासा। (प्रतीकात्मक तस्वीर)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में विषाक्त कफ सीरप के सेवन से 26 बच्चों की मौत के मामले में एक और चौंकाने वाले तथ्य उजागर हुआ है।
पुलिस जांच में यह सामने आया है कि शासकीय अस्पताल में कार्यरत डाक्टर प्रवीण सोनी, जो अपना निजी क्लीनिक भी चलाता था, ने बच्चों के उपचार के लिए ऐसा सीरप लिखा, जो वास्तव में मौजूद नहीं था। उसकी पत्नी ज्योति, जो एक मेडिकल स्टोर चलाती हैं, पर्चे पर लिखे सीरप के बदले कोल्ड्रिफ कफ सीरप ही देती थीं। डॉक्टर प्रवीण जानबूझकर गलत नाम से सीरप लिखता था, ताकि अन्य मेडिकल स्टोर वाले इसे नहीं दे सकें। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
पुलिस ने की पर्चों की जांच
पुलिस ने कई पर्चों की जांच की, जिसमें एक पर्चे में नेस्ट्रो-पीएल कफ सीरप लिखा गया था, जो कि चिकित्सकों के अनुसार उपलब्ध नहीं है। जब बच्चे के परिजन दवा खरीदने गए तो उन्हें कोल्ड्रिफ सीरप दिया गया, जिसके सेवन के बाद बच्चे की तबीयत बिगड़ गई और अंतत: उसकी मौत हो गई।
डॉक्टर और उसकी पत्नी जेल में
इस मामले में डॉक्टर सोनी और उसकी पत्नी जेल में हैं। कोल्ड्रिफ सीरप बनाने वाली कंपनी के मालिक और केमिकल एनालिस्ट भी गिरफ्तार किए गए हैं। जांच में कोल्ड्रिफ सीरप में 42 प्रतिशत डीईजी की मात्रा पाई गई, जो बच्चों की मौत का मुख्य कारण बनी।
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