न्यायालय परिसरों में हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट गंभीर (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। न्यायालय परिसरों में हिंसा को गंभीरता से लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह ट्रायल कोर्ट की सुरक्षा बढ़ाने के लिए अखिल भारतीय स्तर पर कड़े दिशानिर्देश तैयार करेगा, जहां अक्सर वकीलों और पुलिस के बीच झड़पें होती रही हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जोयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि \“कठोर अपराधी\“ अक्सर वकीलों की पोशाक पहनकर कोर्ट आते हैं और न्यायालय परिसर में हिंसक घटनाओं में लिप्त रहते हैं।
पीठ ने क्या कहा?
पीठ ने कहा, \“\“हमने पंजाब, हरियाणा और यहां तक कि दिल्ली में भी ऐसी घटनाएं देखी हैं जहां काले लिबास में अपराधी वकीलों या अन्य आरोपितों पर हमला करते हैं। पुलिस असहाय है क्योंकि यह पहचानने का कोई तंत्र नहीं है कि वे असली वकील हैं या अपराधी। हम ट्रायल कोर्ट की सुरक्षा बढ़ाने के लिए पूरे देश में कड़े दिशानिर्देश तैयार करेंगे जहां अक्सर वकीलों, पुलिस और वादियों के बीच झड़पें होती रही हैं।\“\“
पीठ ने यह टिप्पणी केरल पुलिस आफिसर्स एसोसिएशन की एक याचिका पर सुनवाई के दौरान की। इस याचिका में हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें पुलिस के लिए अदालती समय के दौरान न्यायालय परिसर में किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने, हिरासत में लेने या पकड़ने के लिए कोर्ट के पीठासीन अधिकारी की पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है।
एसोसिएशन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने कहा कि यह एक व्यापक आदेश है और ऐसी कई स्थितियां हो सकती हैं जिनमें पुलिस कार्रवाई की आवश्यकता हो। जस्टिस कांत ने वकील से पूछा कि अगर कोई व्यक्ति हत्या करता है तो क्या उसे गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।
जनवरी में होगी अगली सुनवाई
उन्होंने हाईकोर्ट के आदेश के पीछे के तर्क पर सवाल उठाया। पीठ ने यह भी कहा कि वह मुकदमे का दायरा बढ़ा रही है और कोर्ट की सुरक्षा बढ़ाने के लिए अखिल भारतीय स्तर पर दिशानिर्देश तैयार करेगी। पीठ ने आर. बसंत से देश भर की कोर्ट में हुई हिंसक घटनाओं का विवरण एकत्र करने को कहा और कहा कि कड़े दिशानिर्देश लागू होने चाहिए। मामले की अगली सुनवाई जनवरी में तय की गई है।
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