कैंटर का प्रतीकात्मक चित्र।
जागरण संवाददाता, फिरोजाबाद। फाइनेंसकर्मियों ने कैंटर गुपचुप तरीके से बागपत में बेच दिया। इसके बाद उपसंभागीय परिवहन कार्यालय (एआरटीओ) में वाहन स्वामी के बिना आए ही कैंटर किसी और के नाम पर ट्रांसफर कर दिया गया।
पीड़ित को इसकी जानकारी एक माह बाद सोमवार को तब हुई जब वह किसी काम से एआरटीओ कार्यालय पहुंचा। उसने काफी देर हंगामा किया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
जसराना के पैढ़त, गींगना निवासी उपेंद्र कुमार ने बताया कि अक्टूबर 2023 में आयशर कैंटर फाइनेंस कराया था। जिसकी किस्त निरंतर भर रहे थे। तीन माह पूर्व बेटे की तबीयत खराब होने पर किस्त नहीं भर पाए तो फाइनेंसकर्मी घर से कैंटर उठा ले गए थे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
कैंटर मालिक उपेंद्र कुमार।
जबकि कैंटर की दोनों चाबी उसके पास हैं। सोमवार को जब वह किसी काम से एआरटीओ कार्यालय पहुंचे, तो पता चला कि उनके कैंटर को बागपत के किसी युवक के नाम ट्रांसफर कर दिया गया है।
जबकि यह प्रक्रिया वाहन स्वामी के कार्यालय आए बिना पूरी नहीं हो सकती। सोमवार को उपेंद्र ने एआरटीओ कार्यालय में बाबू भरत के पास जाकर इसका कारण पूछा, लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई।
संभागीय निरीक्षक अखिलेश यादव का कहना है, बिना वाहन स्वामी के आए ट्रांसफर की प्रकिया पूरी नहीं की जा सकती है। अगर फिर भी ऐसा हुआ है तो जांच की जाएगी। जांच में बात सही पाए जाने पर संबंधित के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
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