जूनियर इंजीनियर पद पर केवल डिप्लोमा धारक ही होंगे नियुक्त।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। लोक सेवा आयोग द्वारा दिसंबर 2013 में चार अभियंत्रण विभागों में जूनियर इंजीनियर (सिविल व मैकेनिकल) संवर्ग के 2779 पदों पर भर्ती के लिए जारी विज्ञापन को लेकर चल रहा विवाद अब खत्म हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने छह नवंबर को इस मामले में अंतिम सुनवाई करते हुए डिग्रीधारी अभ्यर्थियों की दो विशेष अनुमति याचिकाएं खारिज कर दीं। इस निर्णय के साथ ही अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि जूनियर इंजीनियर के पदों पर केवल डिप्लोमा धारक अभ्यर्थियों की ही भर्ती होगी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
दरअसल, आयोग के विज्ञापन से डिप्लोमाधारी अभ्यर्थियों का इंटरव्यू के बाद नियुक्ति की गई। डिग्रीधारी अभ्यर्थियों ने इस भर्ती प्रक्रिया को चुनौती दी थी। मामला पहले हाईकोर्ट की सिंगल और डबल बेंच में सुना गया, लेकिन वहां उन्हें राहत नहीं मिली।
इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दो विशेष अनुमति याचिकाएं (एसएलपी) दाखिल कीं। सुप्रीम कोर्ट ने प्रारंभिक सुनवाई में अंतरिम आदेश जारी करते हुए यह निर्देश दिया था कि लिखित परीक्षा पास करने वाले डिग्रीधारी अभ्यर्थियों का भी इंटरव्यू लिया जाए।
बाद में डिप्लोमा इंजीनियर्स महासंघ ने इस मामले में इंप्लीडमेंट दाखिल करते हुए अपना पक्ष मजबूती से रखा। इसके बाद काउंटर, प्रत्युत्तर जैसी सभी प्रक्रियाएं पूरी हुईं।
24 जनवरी 2020 से लेकर छह नवंबर 2025 तक कुल 39 सुनवाइयों के बाद अदालत ने डिप्लोमा धारकों के पक्ष में अंतिम फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों विशेष अनुमति याचिकाएं खारिज करते हुए कहा कि जूनियर इंजीनियर पदों पर केवल डिप्लोमा धारक अभ्यर्थी ही पात्र होंगे।
इससे पहले भी 2016 और 2019 में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने इसी प्रकार का निर्णय देते हुए डिग्रीधारी अभ्यर्थियों को भर्ती प्रक्रिया से बाहर रखा था। इस फैसले के बाद यह पूरी तरह स्पष्ट हो गया है कि आने वाले वर्षों में जूनियर इंजीनियर पदों पर केवल डिप्लोमा धारक ही नियुक्त होंगे। |