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फार्म हाउस मालिक ने 35 हरे पेड़ों पर चला दी आरी, दे दी सुप्रीम कोर्ट के आदेश को चुनौती

deltin33 2025-11-10 02:07:30 views 913

  

कलवारी में फार्म हाउस में काटे गए पेड़ों की जांच करती वन विभाग की टीम। फोटो: जागरण



सुमित द्विवेदी, आगरा। ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) की सख्ती को चुनौती देते हुए शहर के बोदला-बिचपुरी कलवारी गांव स्थित पंडित फार्म हाउस में अवैध रूप से 35 हरे-भरे पेड़ काट दिए गए। वन विभाग की टीम ने शनिवार सुबह मौके पर पहुंचकर जांच की तो मामला सामने आया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

फार्म हाउस के मालिक महेशचंद्र ने गुरुवार और शुक्रवार की रात कुल्हाड़ी व आरी से 34 यूकेलिप्टस और एक गूलर के पेड़ों को कटवा दिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की धज्जियां उड़ाते इस कांड में मालिक ने पहले तो फोन पर घंटों गुमराह किया, फिर तीन घंटे बाद मौके पर पहुंचे। वन विभाग ने कटी लकड़ी को सुपुर्दगी में लेकर मालिक के खिलाफ थाना जगदीशपुरा में मुकदमा दर्ज कराया है।  

बोदला-बिचपुरी रोड स्थित कलवारी गांव में पंडित फार्म हाउस की ऊंची-ऊंची दीवारें, गेट पर ताला जड़ा हुआ। बाहर से देखने पर सब कुछ सामान्य है, लेकिन जैसे ही गेट खुलता है फार्म हाउस में दीवारों के किनारे-किनारे लगे यूकेलिप्टस के पेड़ अब सिर्फ ठूंठ बनकर रह गए हैं। जमीन पर बिखरी लकड़ियां, कटे हुए तने और चारों ओर फैली हरियाली।

यही नजारा था शनिवार सुबह करीब 10 बजे का, जब वन दारोगा और उनकी टीम पंडित फार्म हाउस पहुंची। सुबह 11 पहुंची टीम को गेट के बाहर से ही अंदर कटे पेड़ों की झलक मिल गई। पेड़ों के कटे तने भी गवाही दे रहे थे कि पेड़ एक-दो दिन में कटे हैं। सूत्रों ने बताया गुरुवार-शुक्रवार की रात काटे गए हैं।

कुल्हाड़ी और आरी के निशान भी साफ बयां कर रहे थे कि सुनियोजित तरीके से कटाई की गई है। तीन घंटे बाद मालिक घटना स्थल पर पहुंचे और उन्हाेंने शुरुआत में गुमराह करने का प्रयास किया। कहा, यहां खेती होती है, यूकेलिप्टस तो ऐसे ही लगाए जाते हैं। मामले में वन विभाग की ओर से फार्म हाउस मालिक महेश चंद्र पर मुकदमा दर्ज कराया है।

फार्म हाउस के गेट पर लिखे नंबर पर जागरण संवाददाता ने काल की तो नाम नहीं बताया। कहा, महेश चंद्र से पेड़ों का कोई लेना देना नहीं है। वर्ष 2019 नवंबर में पेड़ लगाए गए थे। 30-40 फीट ऊंचे पेड़ थे तो आंधी या तेज हवा के चलने पर आसपास घरों में गिरते थे। जिससे कई लोग घायल भी हुए हैं, सुरक्षा के लिए पेड़ काटे गए।

पेड़ों को काटने से पहले इनके काटने की जानकारी की गई, जिसमें केंद्र सरकार के लिए पत्र में स्पष्ट था कि यूकेलिप्टस के लिए अनुमति जरूरी नहीं है। इंस्पेक्टर जगदीशपुरा प्रदीप कुमार का कहना है कि इस मामले में वन विभाग की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। साक्ष्य संकलन किया जा रहा है। तथ्यों के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।

29 सेंटीमीटर की सबसे छोटी गोलाई



काटे गए 34 यूकेलिप्टस और एक गूलर के हरे पेड़ों की गोलाई नापी गई तो छोटे-बड़े तने सामने आए। सबसे छोटा 29 सेंटीमीटर का गूलर का पेड़ था। बांकी यूकेलिप्टस के ठूंठ 38 सेमी से लेकर 104 सेंटीमीटर तक की गोलाई वाले थे। सभी पेड़ दीवारों के साथ लगे थे, जो फार्म हाउस की हरियाली का आधार थे। कटी लकड़ी को मौके पर ही राजीव शर्मा को सुपुर्दगी में दे दी गई।


ये हैं नियम

टीटीजेड क्षेत्र में किसी भी प्रजाति के हरे पेड़ को काटना या डाल छांटना सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पूरी तरह प्रतिबंधित है। केवल मृत, सूखे या खतरे की स्थिति में पेड़/डाल हटाने की अनुमति टीटीजेड प्राधिकरण एवं वन विभाग से लिखित अनुमति लेकर ही आगे की कार्रवाई की जाती है। बिना अनुमति कटाई या छटाई पर उत्तर प्रदेश वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1976 की धारा 4/10 के तहत मुकदमा, जुर्माना एवं कारावास का प्रावधान है। अनुमति मिलने पर कटे या छांटे गए प्रत्येक पेड़ के बदले निर्धारित संख्या में नए पौधे लगाना अनिवार्य है। जिसकी निगरानी टीटीजेड करता है।



कलवारी स्थित पंडित फार्म हाउस के मालिक महेश चंद्र पर 35 पेड़ कटवाने के मामले में मुकदमा दर्ज कराया गया है। टीटीजेड क्षेत्र में पेड़ काटना या डाल छांटना अपराध है।

कृपाशंकर, रेंजर, बाईंपुर रेंज
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