कैसे करें सुंदरकांड पाठ (Image Source: AI-Generated)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। रामचरितमानस में सुंदरकांड (Sunderkand Path) पांचवा अध्याय है। सुंदरकांड में हनुमान जी की भक्ति और बुद्धि का विस्तार से वर्णन किया गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, सुंदरकांड का पाठ करने से जीवन के सभी दुख और संकट दूर होते हैं। साथ ही प्रभु श्रीराम और बजरंगबली की कृपा प्राप्त होती है। अगर आप भी सुंदरकांड का पाठ करना चाहते हैं, तो आइए इस लेख में हम आपको बताएंगे कि कब और कैसे करना चाहिए सुंदरकांड का पाठ। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
किस दिन करें सुंदरकांड का पाठ
सुंदरकांड का पाठ सप्ताह के किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन मंगलवार और रविवार का दिन बेहद शुभ माना जाता है।
सुंदरकांड पाठ विधि (Sunderkand Path Vidhi)
सुबह स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें। इसके बाद चौकी पर हनुमान जी की मूर्ति को विराजमान करें। देसी घी का दीपक जलाएं। हनुमान जी को फूलमाला और सिंदूर अर्पित करें। इसके बाद विधिपूर्वक सुंदरकांड का पाठ शुरू करें। सुंदरकांड पाठ का समापन होने पर हनुमान जी आरती करें और हनुमान चालीसा का पाठ करें। आखिरी में प्रभु को गुड़-चना, बूंदी के लड्डू, इमरती और फल समेत आदि चीजों का भोग लगाएं और लोगों में प्रसाद का वितरण करें।
सुंदरकांड पाठ के नियम (Sunderkand Path Ke Niyam)
- सुंदरकांड पाठ के दौरान साफ कपड़े धारण करें। भूलकर भी काले रंग के कपड़ें न पहनें।
- इस दौरान किसी से वाद-विवाद न करें।
- किसी के बारे में गलत न सोचें।
- तामसिक भोजन का सेवन न करें।
- सुंदरकांड का पाठ ब्रह्म मुहूर्त में करना शुभ माना जाता है।
- सुंदरकांड का पाठ अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार, सुंदरकांड का पाठ पूरा न करने से साधक शुभ फल की प्राप्ति से वंचित रहता है।
- अमावस्या के दिन सुंदरकांड का पाठ नहीं करना चाहिए।
सुंदरकांड पाठ से मिलते हैं अद्भुत लाभ (Sunderkand Path Ke Fayde)
- ऐसी धार्मिक मान्यता है कि सुंदरकांड पाठ करने से हनुमान जी कृपा बनी रहती है।
- जीवन में आने वाले सभी दुख और संकट दूर होते हैं।
- बल, बुद्धि और विद्या का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- प्रभु श्रीराम और हनुमान जी प्रसन्न होते हैं।
- मन में शांति मिलती है।
- सफलता के मार्ग खुलते हैं।
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