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UP में राम-श्याम के चक्कर में घूमती रही मजिस्ट्रियल जांच की फाइल, आयोग को रिपोर्ट का इंतजार

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तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण



ब्रजेश पांडेय, बस्ती। राम-श्याम के चक्कर में पिछले नौ वर्ष से महिला बंदी की मृत्यु की फाइल इधर-उधर घूम रही है। जिला कारागार बस्ती की महिला बंदी संतकबीर नगर के झिगुरापार निवासिनी फूलमती पत्नी श्याम मूरत की 12 अगस्त 2016 को कैली अस्पताल में इलाज के दौरान मृत्यु हो गई थी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इसकी मजिस्ट्रियल जांच रिपोर्ट का इंतजार आज भी उत्तर प्रदेश मानवाधिकार आयोग कर रहा है। महिला के पति का नाम श्याम मूरत है या राम मूरत, अधिकारियों के पत्रों में भिन्नता है। मृत्यु का समय में भी समानता नहीं है।

मानवाधिकार आयोग के सदस्य बृज भूषण ने अपर पुलिस महानिदेशक कारागार उत्तर प्रदेश लखनऊ को दिवंगत बंदी फूलमती पत्नी राममूरत के प्रकरण की जांच एक माह में उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। रिपोर्ट न मिलने पर आयोग ने आपत्ति जताई है।

आदेश में बस्ती जिला मजिस्ट्रेट को पुन: निर्देशित किया है कि प्रकरण में वांछित विसरा परीक्षण रिपोर्ट सहित मजिस्ट्रियल जांच आख्या आयोग को 16 दिसंबर 2025 तक उपलब्ध कराया जाए। आयोग के पत्र में महिला के पति का नाम राम मूरत है, जबकि केंद्रीय कारागार फतेहगढ़ के पत्र में पति का नाम श्याम मूरत बताया गया है।

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फतेहगढ़ कारागार के वरिष्ठ अधीक्षक ने जिला कारागार बस्ती को लिखे पत्र में फूलमती की मृत्यु 13 अगस्त 2016 बताया है। आयोग से फतेहगढ़ कारागार में पहुंचे पत्र का उल्लेख करते हुए वहां के वरिष्ठ अधीक्षक ने लिखा है कि प्रकरण इस कारागार से नहीं बस्ती से संबंधित है, जिसके कारण आयोग को रिपोर्ट बस्ती के माध्यम से प्रेषित करना है।

फर्रूखाबाद के अपर जिला मजिस्ट्रेट अरुण कुमार सिंह ने भी जिला मजिस्ट्रेट बस्ती को अपने 28 अक्टूबर 2025 को लिखे पत्र में भी उक्त प्रकरण का हवाला दिया है। इसमें भी महिला के पति का नाम श्याम मूरत ही बताया गया है।



उत्तर प्रदेश मानवाधिकार आयोग से फूलमती की 12 अगस्त को हुई मृत्यु के बारे में जांच के बाद आख्या रिपोर्ट 16 दिसंबर 2025 तक उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। प्रकरण में अधीक्षक जिला कारागार बस्ती को आख्या प्रेषित करने के लिए निर्देशित किया गया है। पूर्व में भी यह मामला संज्ञानित है, जिसके तहत जिला कारागार बस्ती के द्वारा विस्तृत जांच आख्या, न्यायिक जांच, विसरा रिपोर्ट 18 मई 2017 को आयोग को प्रेषित की जा चुकी है। दोबारा जांच आख्या और रिपोर्ट प्रेषित की गई है।
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प्रतिपाल सिंह चौहान, अपर जिला मजिस्ट्रेट, बस्ती
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