बिहार विधानसभा चुनाव
राधा कृष्ण, पटना। Bihar election 2025: बिहार में पहले चरण की वोटिंग ने राजनीतिक पारा चढ़ा दिया है। 18 जिलों की 121 सीटों पर हुए मतदान में जनता का उत्साह रिकॉर्ड स्तर पर दिख रहा है। 64.46% की वोटिंग ने सभी समीकरण बदल दिए हैं।
इस बार के चुनाव में सिर्फ उम्मीदवारों की किस्मत नहीं, बल्कि नीतीश कुमार की साख, नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता, तेजस्वी यादव का युवा कार्ड और प्रशांत किशोर की नई राजनीति चारों पर जनता ने मुहर लगाई है। अब सवाल यही है कि इस पहली जंग में बढ़त किसके पाले में गई है? विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
एनडीए और जदयू को मिली शुरुआती राहत
पहले चरण के बाद एनडीए खेमे में आत्मविश्वास झलक रहा है। भाजपा और जदयू नेताओं का मानना है कि महिलाओं और अति-पिछड़े वर्गों (EBC/MBC) के बीच सरकार की योजनाओं का असर वोट में दिखा है।
जदयू को उम्मीद है कि नीतीश कुमार की “सात निश्चय” योजनाओं और महिला सशक्तिकरण के नारे ने ग्रामीण सीटों पर उन्हें मजबूती दी है।
भाजपा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता अब भी एनडीए के लिए मुख्य इंजन बनी हुई है। बीजेपी ने पहले ही चरण में “केंद्र-राज्य की डबल इंजन” अपील पर वोटरों को जोड़ने की कोशिश की थी।
महागठबंधन की जमीनी हकीकत
महागठबंधन (RJD–Congress–Left) के लिए यह चरण मिश्रित परिणाम वाला रहा। तेजस्वी यादव ने बेरोज़गारी, शिक्षा और भ्रष्टाचार पर तीखे हमले किए, लेकिन RJD के पारंपरिक यादव–मुस्लिम समीकरण पर NDA की सेंधबाज़ी की चर्चा हो रही है।
कांग्रेस और वाम दलों ने कुछ इलाकों में मजबूत पकड़ दिखाई, मगर राज्यव्यापी रुझान अभी NDA की ओर झुकते नज़र आ रहे हैं।
फिर भी सीमांचल और भोजपुर बेल्ट में आरजेडी का प्रभाव कायम माना जा रहा है। जहाँ महागठबंधन अब दूसरे चरण में जोर लगाएगा।
प्रशांत किशोर और जन सुराज की स्थिति
जन सुराज पार्टी (PK) खुद को “तीसरी ताकत“ के रूप में पेश कर रही थी, लेकिन पहले चरण में उसका प्रभाव सीमित रहा। प्रशांत किशोर की सभाओं में भीड़ ज़रूर दिखी, मगर ज़मीन पर वोट ट्रांसफर स्पष्ट नहीं हो पाया।
विश्लेषकों का कहना है कि जन सुराज को लंबी राजनीतिक यात्रा तय करनी होगी ताकि वह NDA-महागठबंधन जैसे गठबंधनों के बीच अपनी जगह बना सके।
दूसरे चरण की वोटिंग के लिए विपक्ष तैयार
पहले चरण की वोटिंग ने बिहार की राजनीति में सस्पेंस, रोमांच और नए समीकरणों का दौर शुरू कर दिया है।
एनडीए को शुरुआती बढ़त के संकेत जरूर मिल रहे हैं, लेकिन महागठबंधन अभी भी मुकाबले से बाहर नहीं है, तेजस्वी यादव की अगुवाई में विपक्ष दूसरे चरण में वापसी की पूरी रणनीति बना रहा है।
उधर, जन सुराज तीसरा मोर्चा बनने की कोशिश में जुटा है, जिसकी मौजूदगी कई सीटों पर वोट बंटवारे का कारण बन सकती है।
अब सबकी निगाहें 11 नवंबर पर टिकी
अब सबकी निगाहें 11 नवंबर पर टिकी हैं, जब दूसरे चरण की वोटिंग होगी। इससे पहले हर दल अपने प्रचार-तेवर और गठबंधन समीकरणों को फिर से परिभाषित कर रहा है।
मतगणना 14 नवंबर को होगी, और उसी दिन तय होगा कि जनता ने इस बार विकास की निरंतरता, बदलाव की नई राह, या परंपरा की वापसी में से किस पर मुहर लगाई है।
यानी बिहार की जनता ने बटन तो दबा दिया है, लेकिन फैसला अभी ईवीएम की खामोशी में बंद है।
यह भी पढ़ें- पहले चरण की वोटिंग पर प्रशांत किशोर का बयान, कहा- जनता नए विकल्प के पक्ष में, प्रवासी मजदूर बने चुनाव के X फैक्टर |