ई-बस सेवा में अव्यवस्था से यात्रियों का मोहभंग। फोटो जागरण
जागरण संवाददाता, जम्मू। पर्यावरण संरक्षण और जनता को सुविधा देने के मद्देनजर शुरू की गई सरकारी ई-बस सेवा का भविष्य जारी घाटे के चलते खतरे में है। ई-बसों को चलाने से लोग उत्साहित हैं, लेकिन अव्यवस्था के चलते इनका परिचालन सवारियों की भी मुश्किलें बढ़ा रहा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
कभी टिकटें नहीं दी जातीं तो कभी निर्धारित स्टाप पर नहीं उतारा जाता। जम्मू स्मार्ट सिटी के अंतर्गत जम्मू संभाग में चल रही 100 ई-बसों से नागरिकों को यातायात में काफी सुविधा हुई थी।
कई रूटों पर बसें चलने लगी थीं, लेकिन इनमें गड़बड़ी के चलते हो रहे घाटे का खामियाजा आम जनता को ही भुगतना पड़ेगा। सवाल उठता है कि ऐसे हालात में कितनी ही देर तक इन्हें सड़कों पर दौड़ाया जा सकेगा।
पहले ही जम्मू-कश्मीर राज्य परिवहन निगम ऐसी ही खामियों के चलते सफेद हाथी साबित हो चुका है। अभी तो ई-बसों को सरकार ने किसी विभाग को नहीं सौंपा है। उससे पहले ही हालत पतली हो चुकी है।
साफ है कि भविष्य में सरकार को इन बसों को ट्रांसपोर्ट विभाग को ही हैंडओवर करना होगा, लेकिन तब तक घाटा इतना हो चुका होगा कि शायद इन्हें चलाना ही मुश्किल हो जाएगा।
घाटे को खत्म करने के लिए उठाए जाएं प्रभावी कदम
लोग चाहते हैं कि ई-बसों के परिचालन को पारदर्शी बनाते हुए घाटे को खत्म करने की दिशा में प्रभावी कदम उठाए जाएं। कंट्रोल रूम से ई-बसों में लगे सीसीटीवी की हर समय निगरानी हो। जांच दस्ता हर पांच किलोमीटर पर ई-बसों की जांच करे। बिना टिकट की सवारियों को देखा जाए और चालक व परिचालक पर सख्ती दिखाई जाए।
संभाग में चलती हैं जेएससीएल की 95 बसें
जम्मू संभाग में जम्मू स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने 100 ई-बसों को चलाया है। इनमें से 95 बसें हमेशा सड़कों पर दौड़ रही होती हैं जबकि पांच बसों को डिपो में ही खड़ा रखा जाता है, ताकि आपात स्थिति में इनका इस्तेमाल किया जा सके।
विधानसभा सत्र में पेश की गई जानकारी के अनुसार प्रदेश में स्मार्ट सिटी की इन ई-बसों को रोजाना 20 लाख का घाटा सहना पड़ रहा है। इसमें 10 लाख रुपये जम्मू संभाग और 10 लाख रुपये कश्मीर संभाग का घाटा है।
इन ई-बसों को जेएससीएल ने 561.22 करोड़ रुपये की लागत से खरीदा था। न इको फ्रेंडली ई-बसों का लोकार्पण 26 जनवरी 2024 को गृहमंत्री अमित शाह ने वर्चुअल माध्यम से किया था।
ई-बसों में सफर तो बहुत सुहावना रहता है लेकिन बहुत बार ड्राइवर, कंडक्टर मनमानी करते हैं। विशेषकर रात के समय तो एक-दो सवारी होने पर स्टाप तक जाने से परहेज करते हैं। हर स्टाप पर गाड़ी खड़ी तक नहीं करते। महिलाओं को देखकर मुंह चुराते हैं। -कृष्णा राजपूत, यात्री
सरकार ने महिलाओं के लिए फ्री यात्रा कर अच्छा कदम उठाया लेकिन ई-बस वाले गाड़ियां रोकते ही नहीं हैं। दिल्ली, पंजाब, हिमाचल में भी ऐसी व्यवस्था है। पारदर्शिता लाई जानी चाहिए। महिलाओं के नाम पर हेराफेरी करते होंगे। -कोमल सचदेवा, यात्री
पंजाब रोडवेज की तर्ज पर इन ई-बसों के लिए टिकट चेकिंग व्यवस्था होनी चाहिए। ड्राइवर, कंडक्टरों को डर लगना चाहिए कि किसी भी चौक में चेंकिंग होगी। यहां ऐसा नहीं है। थोड़े से वेतन पर कंडक्टर रखे हैं। वे दिहाड़ी बनाने के चक्कर में रहते हैं। घाट तो होगा ही। -रीना राजपूत, यात्री
मुझे तो लगता है कि मुफ्त वाली स्कीम ही गलत है। यह जनता के पैसे का ही दुरुपयोग है। इसका लाभ कम और नुकसान ज्यादा ही होगा। बुजुर्ग महिलाओं, छात्राओं के लिए मुफ्त यात्रा रहनी चाहिए। इससे घाटा कम होगा। ई-बसें समय की जरूरत है। -सुभाष कुमार, यात्री
क्या कहते हैं अधिकारी
ई-बसों में हेराफेरी रोकने के लिए फ्लाइंग स्कवाड की व्यवस्था है। कुछ माह पहले कुछ परिचालकों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई थी। सख्ती की जा रही है। सरकारी योजना है, जनहित को ध्यान में रखा जाता है। जीपीएस सिस्टम से बसों की निगरानी होती है। चलो ऐप के माध्यम से लोग भी बसों की स्थिति जान सकते हैं। यात्री डिजिटल माध्यम से ही किराया दें। इससे हेराफेरी की संभावना नहीं रहती। आने वाले दिनों में मेट्रो की तर्ज पर सवारियों के लिए कार्ड लेकर आ रहे हैं। उससे फर्क पड़ेगा। -डा. देवांश यादव, सीईओ, जम्मू स्मार्ट सिटी लिमिटेड |
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