बिहार चुनाव में एक महत्वपूर्ण बदलाव हो रहा है। कुछ गांवों के निवासी 16 साल बाद वोट डालेंगे। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, चानन (लखीसराय)। बदलते वक्त के साथ वह दिन आ ही गया है, जब दो दशक बाद लखीसराय जिले के सूर्यगढ़ा विधानसभा क्षेत्र के चार गांवों के सैकड़ों मतदाता अपने ही गांव में वोट डालेंगे। इस विधानसभा चुनाव में चानन प्रखंड के नक्सल प्रभावित इलाकों के मतदाताओं को वोट डालने के लिए अब लंबी दूरी तय नहीं करनी पड़ेगी, वे अपने ही गांव में वोट डालेंगे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इस तरह पहली बार अर्धसैनिक बलों की निगरानी में नक्सलियों के गढ़ माने जाने वाले कछुआ और बासकुंड गांवों में ईवीएम की \“प\“ ध्वनि सुनाई देगी। गौरतलब है कि लखीसराय जिले के 56 मतदान केंद्र नक्सल प्रभावित हैं।
पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान पांच नक्सल प्रभावित मतदान केंद्रों को मैदानी इलाकों में स्थानांतरित कर दिया गया था। हालांकि, इस बार नक्सल मुक्त क्षेत्र बनने के बाद चुनाव आयोग ने उन पांच मतदान केंद्रों को उनके मूल स्थान पर बहाल कर दिया है। इनमें चानन प्रखंड क्षेत्र के दो मतदान केंद्र संख्या 407 और सामुदायिक भवन कछुआ में 363 मतदाता हैं।
इसमें 243 पुरुष और 252 महिलाएं शामिल हैं, और मतदान केंद्र संख्या 417, उत्क्रमित मध्य विद्यालय बासकुंड-कछुआ में 495 मतदाता हैं। इसमें 186 पुरुष और 177 महिलाएं शामिल हैं। पहले, इन दोनों मतदान केंद्रों पर मतदाताओं को वोट डालने के लिए जंगलों और पहाड़ों के बीच छह से सात या दस किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था।
कछुआ गांव के होइल कोड़ा और भुखो कोड़ा कहते हैं कि पहले, उन्हें जंगल टोला बेलदरिया स्थित प्राथमिक विद्यालय तक पहुंचने के लिए सात से आठ किलोमीटर जंगल और पहाड़ों से होकर जाना पड़ता था। बासकुंड गांव निवासी बिजो कोड़ा और सुरेश कोड़ा भी कहते हैं कि पहले, उन्हें महुलिया स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय तक पहुंचने के लिए दस किलोमीटर जंगल और पहाड़ों से होकर जाना पड़ता था।
वे कहते हैं, “पहले डर का माहौल था, अधिकारी भी नहीं आते थे। अब जब माओवादी चले गए हैं, तो सरकार ने गांव में ही बूथ बना दिया है, अब सब वोट डालेंगे।“ |