राज्य ब्यूरो, लखनऊ। सड़क हादसों में बढ़ती मृत्यु दर को कम करने के लिए यातायात नियमों में सख्ती के बाद भी अपेक्षित परिणाम नहीं मिल रहे हैं। हाइवे से लेकर बड़े शहरों में यातायात व्यवस्था की बदहाली भी चिंता की लकीरें खींचती रहती है। इन पर प्रभावी नियंत्रण के लिए अब ट्रैफिक पुलिस के साथ जिला पुलिस की भूमिका बढ़ाई जा रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
डीजीपी राजीव कृष्ण ने हर थाने में दुर्घटनाओं की जांच के लिए चार से पांच पुलिसकर्मियों की अलग टीम गठित कराने की योजना बनाई है। टीम दुर्घटनाओं के कारणों के साथ घटनास्थल पर यातायात प्रबंधन की कमियों की भी समीक्षा करेगी। खासकर बड़ी दुर्घटनाओं में वाहनों की फिटनेस से लेकर लंबित चालान व अन्य पहलुओं को भी देखा जाएगा। यातायात निदेशालय ने इससे पूर्व बड़े सड़क हादसों की जांच सीओ से कराने की पहल की थी।
डीजीपी ने दुर्घटनाओं में जनहानि को न्यूनतम करने व बेहतर यातायात प्रबंधन के लिए शुरू किए गए प्रयासों की पुलिस मुख्यालय स्तर से मानीटरिंग कराने का निर्देश भी दिया है। हर जिले में अब थाना स्तर पर विशेष टीमें गठित कर दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए संवेदनशील स्थलों को चिन्हित करने के अलावा यातायात नियमों से जुड़े प्रतीकों को भी लगवाया जाएगा।
सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय के शून्य मृत्यु जिला (जेडएफडी) कार्यक्रम के तहत इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डेटाबेस (आइआरएडी) के माध्यम से वर्ष 2023 व 2024 में घटित सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़ों के आधार पर पांच पुलिस कमिश्नरेट व 15 अन्य जिलों को एक्सीडेंटल डेथ रिडक्शन डिस्ट्रिक्ट के रूप में चिन्हित किया गया है।
इनमें शामिल लखनऊ, कानपुर नगर, गौतमबुद्वनगर, आगरा, प्रयागराज, बुलंदशहर, उन्नाव, हरदोई, अलीगढ़, मथुरा, बरेली, फतेहपुर, सीतापुर, गोरखपुर, बाराबंकी, कुशीनगर, जौनपुर, बदायूं, फीरोजाबाद व आजमगढ़ के अलावा अन्य जिलों में भी सभी थानों पर क्रिटिकल टीम गठित किए जाने की तैयारी है। जिलों में दुर्घटना बहुल क्षेत्रों के अलावा यातायात प्रबंधन में नागरिक पुलिस की तैनाती भी बढ़ाई जाएगी। |