भाषण से ज्यादा हेलीकॉप्टर की धूम
संजय कुमार, गयाजी। चुनाव का मौसम हो और विधानसभा क्षेत्र के आसमान में हेलीकॉप्टर न दिखे, ऐसा तो हो नहीं सकता। जहां भी किसी बड़े नेता की सभा तय होती है, वहां ग्रामीण इलाके के लोगों के बीच सबसे पहले चर्चा उड़ते हुए हेलीकॉप्टर की ही होती है। राजनीतिक भाषणों से पहले लोगों की निगाहें आसमान पर टिकी होती हैं, जैसे सबको उसी क्षण का इंतजार हो जब आसमान में हेलीकॉप्टर मंडराने लगे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
वजीरगंज, बेलागंज और बोधगया विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न गांवों में यही नज़ारा अक्सर देखने को मिल रहा है। चुनावी सभाओं में शामिल होने आने वाले ग्रामीणों में आधे से अधिक लोग ऐसे होते हैं जो असल में नेता का भाषण नहीं, बल्कि हेलीकॉप्टर देखने की उत्सुकता में पहुंचते हैं।
नेताजी से ज्यादा हेलीकॉप्टर के पास लोग
जैसे ही आसमान में दूर से टर्र-टर्र की आवाज सुनाई देती है, सभी के चेहरे खिल उठते हैं। बच्चे, बूढ़े और महिलाएं तक आसमान की ओर देख कर एक साथ बोल उठते हैं आ गलउ रे हेलीकॉप्टरवा। हेलीकॉप्टर नीचे उतरने लगता है तो लोगों में उत्साह और बढ़ जाता है। सभा स्थल पर पहुंचे लोग नेताजी से ज्यादा हेलीकॉप्टर के चारों ओर जमा हो जाते हैं। काफी संख्या में लोग जमीन पर बैठकर उसे निहारते रहते हैं, तो कुछ मोबाइल निकालकर वीडियो बनाने लगते हैं।
कई लोग हेलीकॉप्टर को देखकर आपस में चर्चा शुरू कर देते हैं। कोई कहता है देखहीं तो सीटवा कइसन है, तो कोई बोलता है बाप रे बाप, डयना कतना बड़ा है। वहीं बुजुर्ग राजेंद्र प्रसाद कहते है कि चकवा तो एकदम राजा वाला लग रहा है। सभा में मौजूद कई लोग हेलीकॉप्टर की कीमत पर भी अंदाज़े लगाने लगते हैं।
भाषण छोड़ हेलीकॉप्टर पर ध्यान
एक व्यक्ति कहता है ई तो पांच लाख के आसपास होई। तभी दूसरा जवाब देता है ना भाई सात लाख से कम में ई न मिलई, पास ही खड़ा तीसरा व्यक्ति तुरंत जोड़ता है। अरे सात लाख में ट्रैक्टरवा न आवे ई तो हेलीकाप्टरवा है। करोड़ों रुपये होई। पूरा माहौल में एक अलग चहल-पहल देखने को मिलता है।
वहीं नेताजी मंच से जनता को संबोधन कर रहे होते है। लेकिन कई लोगों का ध्यान भाषण की ओर तनिक भी नहीं जाता। वे या तो हेलीकॉप्टर के आसपास घूमते रहते है या फिर उसकी तस्वीरें खींचने में व्यस्त रहते है। छोटे बच्चे तो मानों किसी मेले में आ गए हो।
हेलीकॉप्टर को लेकर कौतूहल
उसकी आंखों में हेलीकॉप्टर को लेकर कौतूहल साफ झलकता है। कुछ लोगों लिए यह होलीकाप्टर दर्शन चुनावी माहौल की सबसे बड़ी घटना होती है। कई लोग तो मजाक में कहते हैं कि भाषण बाद में पहले हेलीकॉप्टर देख लेवे दे। इस बार के चुनाव में नेताओं की सभाओं से अधिक चर्चा गांवों में हेलीकॉप्टर की हो रही है।
राजनीतिक दलों के लिए यह प्रचार का साधन जरूर है। लेकिन ग्रामीणों के लिए यह अब भी आश्चर्य और उत्साह का प्रतीक है। हवा में उड़ता चकवा उन्हें आधुनिक राजनीति का नहीं बल्कि सपनों को प्रतीक है। जहां वे हर बार सोचते है कब हमरो इलाका इस तरह के विकास से उड़ान भरेगा। |