आत्मसमर्पण (सांकेतिक चित्र)
डिजिटल डेस्क, भोपाल। महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में बड़ी संख्या में माओवादियों के आत्मसमर्पण के बाद मध्य प्रदेश में सक्रिय 50 से अधिक माओवादियों में आत्म समर्पण को लेकर दो गुट बन गए हैं। कुछ समर्पण के पक्ष में है, तो कुछ ऐसा नहीं करना चाहते। उनमें इस बात पर भी मतभेद है कि आत्मसमर्पण मध्य प्रदेश में किया जाए या छत्तीसगढ़ में। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
यह है कारण
इसका कारण यह है कि दोनों राज्यों की समर्पण नीति अलग-अलग है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि माओवादी अब महिलाओं को आगे कर रहे हैं। माना जा रहा है कि मप्र में हाल ही में हुए माओवादी सुनीता का आत्मसमर्पण भी उनकी इसी रणनीति का हिस्सा हो सकता है। सुनीता के प्रति सरकार का रवैया देखकर ही दूसरे माओवादी समर्पण कर सकते हैं।
पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी सुनीता से पूछताछ कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार सुनीता ने पूछताछ में बताया है कि मुखबिरी के संदेह में बालाघाट के चिलौरा गांव निवासी देवेंद्र की हत्या के लिए नौ माओवादी गए थे। अभी तक यह संदेह बना हुआ था कि देवेंद्र की हत्या ग्रामीणों ने की थी या माओवादियों ने।
लगभग दो वर्ष से माओवादियों ने किसी ग्रामीण की हत्या नहीं की थी। सुनीता को गोंडी के अतिरिक्त कोई भाषा नहीं आती, इसलिए द्विभाषिया का सहयोग लेकर पूछताछ की जा रही है।
पिछले पखवाड़े छत्तीसगढ़ में तेलंगाना राज्य निवासी माओवादी रुपेश के नेतृत्व में 210 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया, पर पुनर्वास योजना का लाभ लेने से मना कर दिया। रुपेश ने कहा, सशस्त्र संघर्ष छोड़ा है, पर जनता के लिए लोकतांत्रिक तरीके से लड़ते रहेंगे।
इससे पहले महाराष्ट्र में पोलित ब्यूरो सदस्य भूपति उर्फ सोनू ने 62 माओवादियों के साथ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस के समक्ष आत्समर्पण किया था। भूपति भी तेलंगाना का रहने वाला है, पर उसकी पत्नी तारक्का पहले महाराष्ट्र में आत्मसमर्पण कर चुकी थी, इसलिए उसने महाराष्ट्र को चुना। ऐसे ही मप्र के माओवादी भी छत्तीसगढ़ व महाराष्ट्र में भी आत्मसमर्पण कर सकते हैं। प्रदेश में लगभग 60 माओवादी हैं, जिनमें तीन छोड़ बाकी छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं।
मध्य प्रदेश की आत्मसमर्पण नीति में प्रविधान
- यह नीति सिर्फ उन माओवादियों के लिए लागू होगी जिनके विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज है और प्रतिबंधित संगठन में महत्वपूर्ण पदाधिकारी व काडर के सदस्य हैं। राज्य स्तरीय जांच समिति की अनुशंसा पर समर्पण करने वाले नक्सली को लाभ मिलेगा।
- उसे संगठन के कार्यकर्ताओं और सहयोगियों के नाम और पहचान उजागर करने होंगे। वित्त पोषण, हथियारों के स्त्रोत आदि की जानकारी देनी होगी।
- गृह निर्माण के लिए डेढ़ लाख, जीवित पति या पत्नी नहीं होने विवाह के लिए 50 हजार रुपये और संगठन में उसके पद के अनुसार घोषित पुरस्कार राशि प्रोत्साहन के रूप में दी जाएगी। जमीन खरीदने के लिए 20 लाख रुपये का अनुदान, व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए डेढ़ लाख रुपये, खाद्यान्न सहायता और आयुष्मान भारत योजना का लाभ देने का प्रविधान है।
- जघन्य अपराधों में सुनवाई न्यायालय में जारी रहेगी। अन्य मामलों में अभियोजन वापस लेने के बारे में राज्य शासन द्वारा निर्णय लिया जाएगा।
- संबंधित पुलिस अधीक्षक द्वारा उपयोगिता के अनुसार गोपनीय सैनिक या डीजीपी की अनुशंसा पर आरक्षक के पद पर नियुक्त किया जा सकेगा।
- एलएमजी, स्नाइपर रायफल, राकेट लांचर, एके 47, 56, 74, रायफल, एसएलआर, कार्बाइन के साथ समर्पण करने वालों को साढ़े तीन लाख से साढ़े चार लाख रुपये तक अनुग्रह राशि दी जाएगी।
छत्तीसगढ़ की आत्मसमर्पण नीति में प्रविधान
आर्थिक सहायता और स्वरोजगार : आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को वित्तीय सहायता और कौशल विकास प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे वे स्वरोजगार और अन्य नौकरियों में शामिल हो सकें।
शिक्षा : पीड़ित परिवारों के बच्चों को प्रयास आवासीय विद्यालयों और एकलव्य माडल स्कूलों में मुफ्त शिक्षा मिलेगी। निजी स्कूलों में भी प्राथमिकता दी जाएगी, और उच्च शिक्षा या तकनीकी प्रशिक्षण के लिए 25,000 रुपये की वार्षिक छात्रवृत्ति।
आवास : प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास की स्वीकृति दी गई है। इसके लिए सत्यापन और भूमि चिह्नित करने की प्रक्रिया की जाएगी।
माओवादी बन सकेंगे उद्यमी : छत्तीसगढ़ की औद्योगिक नीति में आत्मसमर्पित माओवादियों के लिए विशेष प्रविधान हैं, जिसमें छोटे और मध्यम उद्योगों के लिए 10 प्रतिशत सब्सिडी शामिल है।
सुरक्षा और पुनर्वास : आत्मसमर्पित माओवादियों को सुरक्षा प्रदान की जाएगी और पुनर्वास शिविरों में रखा जाएगा। |