गुरु पर्व पर चलने वाले लंगर के लिए मोहाली के गुरुद्वारे में तैयार किया जा रहा सरसों का साग।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। हर वर्ष कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि पर गुरु नानक जयंती मनाई जाती है, जिसे प्रकाश उत्सव और गुरु पर्व भी कहा जाता है। सिख धर्म के अनुयायियों के लिए यह दिन बेहद खास होता है। इस बार यह शुभ अवसर 5 नवंबर यानी बुधवार को आया है। गुरु नानक देव की 556वीं वर्षगांठ धूमधाम से मनाई जा रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
शुरुआत 4 नवंबर को ही देर रात 10 बजकर 36 मिनट पर हो जाएगी और समापन 5 नवंबर को शाम 6 बजकर 48 मिनट पर होगा। माेहाली के गुरुद्वारों में आने वाली संगतों के लिए सरसों का साग और मक्की की रोटियों के अलावा कई प्रकार के लंगर तैयार किए जा रहे है।
गुरुद्वारा अंब साहिब में 15 क्विंटल साग बनाया जा रहा है। इसी तरह चंडीगढ़ और पंचकूला में गुरुद्वारों में तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। पंच प्यारों की अगुवाई में प्रभात-फेरी और शोभा यात्रा निकाली जाएगी। प्रभात फेरी के दौरान भजन-कीर्तन होगा। साथ ही साधक कथा-कीर्तन करेंगे।
गुरु नानक देव जी ने चार प्रमुख सिद्धांतों की शिक्षा दी
- एक ओंकार-ईश्वर एक है।
- नाम जपना-ईश्वर का जप करें।
- किरत करना-ईमानदारी से जीवन-यापन करें।
- वंड छकना-जरूरतमंदों के मध्य बांटने की भावना मन में हो।
लोगों को सत्य की राह पर चलने की सलाह दी
गुरु नानक देव जी सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु थे। जन्म पंजाब के तलवंडी में हुआ था, जोकि वर्तमान में पाकिस्तान के ननकाना साहिब के नाम से प्रसिद्ध है। युवावस्था में उन्हें अध्यात्मिक शक्ति का अनुभव हुआ। लोगों को सत्य की राह पर चलने की सलाह दी। बाह्य आडंबर का खंडन किया। मुसीबत में एक-दूसरे की मदद करने की सलाह दी। 22 सितंबर, 1539 को गुरु नानक देव की मृत्यु हुई। |