दिल्ली पुलिस ने जाली नोटों के साथ तीन आरोपियों को किया गिरफ्तार। जागरण
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली और उत्तर प्रदेश में जाली भारतीय मुद्रा नोटों की छपाई और उसे खपाने में लगे एक अंतरराज्यीय सिंडिकेट का भंडाफोड़ करते हुए क्राइम ब्रांच की टीम ने गिरोह के तीन प्रमुख सदस्यों को गिरफ्तार किया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान विजय नगर के राकेश अरोड़ा, मोहल्ला बक्सरोया, शाहजहांपुर, यूपी के रवि अरोड़ा और मोहल्ला तिलहर जई, थाना सदर बाजार, शाहजहांपुर के विवेक कुमार मौर्य के रूप में हुई है।
इनके कब्जे से 3़.24 लाख रुपये के जाली नोट, 122 अधूरे नकली नोट छपाई के पेपर, प्रिंटर, कागज और छपाई के लिए इस्तेमाल किए गए सामान, नोटों पर चित्र उभारने के लिए विशिष्ट रसायन और पाउडर, \“रिबन\“ की जगह इस्तेमाल किया गया हरा टेप, दस्तावेज और पैन कार्ड बरामद हुए हैं।
पुलिस उनसे पूछताछ कर पता लगा रही है कि वह जाली नोटों को कहां खपाते थे और गिरोह में शामिल अन्य सदस्यों की भी तलाश में जुटी है। उपायुक्त विक्रम सिंह के मुताबिक, एएसआई दीपक कुमार को मिली गुप्त सूचना मिली थी कि एक संगठित गिरोह दिल्ली और उत्तर प्रदेश में नकली भारतीय मुद्रा नोटों को खपाने में शामिल है।
उपायुक्त ने बताया कि सूचना के आधार पर क्राइम ब्रांच में मामला दर्ज किया गया और एसीपी राजबीर मलिक की देखरेख में और इंस्पेक्टर विनय कुमार के नेतृत्व में टीम गठित की गई। कार्रवाई करते हुए टीम ने सबसे पहले राकेश अरोड़ा को नार्थ गेट माल क्षेत्र से गिरफ्तार किया। तलाशी में उसके कब्जे से 500 रुपये के 200 जाली नोट बरामद हुए।
पूछताछ में उसने बताया कि बरामद जाली नोट शाहजहांपुर के विवेक कुमार मौर्य ने अपने भाई रवि अरोड़ा के माध्यम से उपलब्ध कराए थे। इसके बाद टीम शाहजहांपुर रवाना हुई और रवि अरोड़ा के घर पर छापेमारी कर उसे दबोच लिया।
तलाशी के दौरान लकड़ी के शोकेस से 17,500 मूल्य के 500 के 35 जाली नोट बरामद हुए। पूछताछ में उसने विवेक की जानकारी दी जो जाली नोटों की छपाई और आपूर्ति में शामिल था। उसकी निशानदेही पर टीम ने मोहल्ला तिलहर जई, थाना सदर बाजार, शाहजहांपुर के आवास पर छापा मारा, जहां वह किराए के घर में रह रहा था।
उसे अपने कंप्यूटर और प्रिंटर सेटअप पर कई मूल्यवर्ग के नकली नोट छापते हुए पकड़ा गया। तलाशी के दौरान भारी मात्रा में जाली नोट और अधूरी करेंसी शीट बरामद हुई। साथ ही गौरव मिश्रा के नाम से जारी एक पैन कार्ड और एसबीआइ पासबुक भी बरामद हुई, जिसका इस्तेमाल अन्य आरोपितों से धन प्राप्त करने के लिए किया जाता था।
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