राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश की 750 ग्राम पंचायतों के विकास में राज्य के छह विश्वविद्यालय सहयोग करेंगे। ग्राम पंचायतों में संचालित विभागों की योजनाओं का अध्ययन कर गांव की जरूरतों के मुताबिक योजनाएं बनाएंगे।
चालू वित्तीय वर्ष में सभी 75 जिलों की 10-10 ग्राम पंचायतों में विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर और शोध छात्र विकास योजनाओं पर काम करेंगे।
सोमवार को पंचायती राज निदेशालय में निदेशक अमित कुमार सिंह ने सभी छह विश्वविद्यालयों के साथ समझौता पत्र हस्ताक्षरित किया। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू), अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू), डा. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा, लखनऊ विश्वविद्यालय, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी तथा डा. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या के साथ यह समझौता किया गया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (आरजीएसए) के तहत यह समझौता किया गया है। इस पहल का मुख्य उददेश्य विश्वविद्यालयों के शैक्षणिक, अनुसंधान तथा तकनीकी क्षमता का बेहतर उपयोग ग्राम पंचायतों के विकास में करने की है। जिससे सतत विकास के लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल किया जा सके।
योजना के तहत विश्वविद्यालय ग्राम पंचायतों में उपलब्ध संसाधनों से ही गांव की मुख्य जरूरतों को पूरा करने की योजना देंगे। ग्राम पंचायतों में सतत आजीविका, आधारभूत सुविधाओं का विकास तथा महिलाओं एवं बच्चों के विकास को केंद्र में रखते हुए विश्वविद्यालय काम करेंगे।
विभिन्न विभागों की कंवर्जेंस की धनराशि का बेहतर उपयोग करने का प्लान देंगे। जिससे इस वित्तीय वर्ष के लिए चयनित 750 ग्राम पंचायतें माडल ग्राम पंचायत बन सकें। पंचायती राज निदेशक के मुताबिक इस पहल से ग्राम पंचायतों में योजनाओं की गुणवत्ता बढ़ेगी। |