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पंजाब विश्वविद्यालय के नए सीनेट व सिंडीकेट का होगा गठन, विरोध के बीच सरकार ने जारी की अधिसूचना

deltin33 2 hour(s) ago views 683

  

अब 85 जगह सिर्फ 24 सदस्यीय सीनेट काम करेगा (फाइल फोटो)



जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पंजाब विश्वविद्यालय के सीनेट को भंग करने के केंद्र सरकार के फैसले को उठाए जा रहे सवालों के बीच केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने सोमवार को विश्वविद्यालय के नए सीनेट और सिंडीकेट के गठन को लेकर अधिसूचना सार्वजनिक कर दी है। जिसमें अब 85 जगह सिर्फ 24 सदस्यीय सीनेट काम करेगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इनमें अब 15 पूर्व छात्रों के निर्वाचन की जगह दो पूर्व छात्र नामित होंगे। इसके साथ ही सिंडीकेट के स्वरूप में भी बदलाव किया है। हालांकि इसके सदस्यों की संख्या पूर्व की भांति पंद्रह ही रखी गई है। विश्वविद्यालय सीनेट के लिए अब तक 15 पूर्व छात्रों का चयन चुनाव के एक लंबी प्रक्रिया के तहत विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले पूर्व स्नातक छात्रों के जरिए ही होता था। जिनकी संख्या में मौजूदा समय में साढ़े तीन लाख से अधिक है।
\“केंद्र को ऐसा करने का अधिकार\“

इस बीच विश्वविद्यालय के सीनेट को भंग करने के केंद्र और शिक्षा मंत्रालय के फैसले पर सवाल खड़े किए जा रहे सवालों पर यूजीसी से जुड़े सूत्रों ने साफ किया है कि केंद्र को ऐसा करने अधिकार है। पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 के सेक्शन 72 के सब-सेक्शन एक व दो में यह साफ है कि केंद्र सरकार विश्वविद्यालय के संचालन व उसके सुधार को लेकर किसी भी तरह के दिशा-निर्देश या जरूरी कदम उठा सकता है।

यह कदम शैक्षणिक सुधार को लेकर 2021 में प्रोफेसर आरपी तिवारी की अगुवाई में गठित कमेटी व राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद(नैक) की रिपोर्ट के बाद उठाया गया है। जिसमें विश्वविद्यालय के शैक्षणिक सुधार के लिए सीनेट को भंग करने जैसे कई सुझाव दिए गए थे। पंजाब विश्वविद्यालय शिक्षक एसोसिएशन ने भी 2016 में सुधार को लेकर तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ ¨सह को एक ज्ञापन सौंपा था। साथ ही सीनेट चुनाव के चलते राजनीतिक अखाड़ा बन चुके परिसर को इससे मुक्त कराने की मांग की थी।

इस बीच शिक्षा मंत्रालय की ओर से 28 अक्टूबर को जारी अधिसूचना के मुताबिक सीनेट में पहले की तरह पंजाब के मुख्यमंत्री, पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, राज्य के शिक्षा मंत्री,चीफ कमिश्नर चंडीगढ़ आदि को जगह दी गई है। यूजीसी से जुड़े सूत्रों की मानें तो इस व्यवस्था से विश्वविद्यालय को राजनीतिक अखाड़ा बनाने से रोका जा सकेगा। साथ ही शैक्षणिक गतिविधियों पर ही फोकस होगा।
2024-25 के वित्तीय वर्ष में केंद्र ने दी 87 प्रतिशत राशि

इस बीच यूजीसी सूत्रों ने पंजाब सरकार की ओर से किए गए उन दावों को भी खारिज किया है, जिसमें कहा गया था कि विश्वविद्यालय के संचालन के अधिकांश राशि राज्य सरकार देती है।

एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि वित्तीय वर्ष 2024- 25 के दौरान विश्वविद्यालय के कुल खर्च का करीब 87 प्रतिशत राशि यानी 593 करोड़ से अधिक केंद्र सरकार ने दिया है जबकि राज्य सरकार ने सिर्फ 13 प्रतिशत राशि यानी 90 करोड़ ही दी है।
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