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सूडान में भयावह स्थिति, अल-फशीर में RSF के कब्जे के नरसंहार की आशंका; शहर छोड़कर भागे 70 हजार लोग

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अल-फशीर में RSF के कब्जे के नरसंहार की आशंका (फोटो सोर्स- रॉयटर्स)



डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सूडान के दारफुर क्षेत्र में हालात एक बार फिर खतरनाक मोड़ पर पहुंच गए हैं। अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस समिति (ICRC) की प्रमुख मिर्जाना स्पोल्जारिक ने चेतावनी दी है कि अल-फशीर शहर में हो रही हिंसा इतिहास को दोहराने जैसी है। रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले हफ्ते RSF (रैपिड सपोर्ट फोर्स)ने शहर पर कब्जा कर लिया, जिसके बाद सैकड़ों नागरकों और निहत्थे लड़ाकों के मारे जाने की आशंका है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय के अनुसार, RSF के कब्जे के दौरान पुरुषों को महिलाओं और बच्चों से अलग किया गया, जिसके बाद गोलियों की आवाजें सुनी गईं। हालांकि, RSF ने नागरिकों को नुकसान पहुंचाने के आरोपों से इनकार किया है।
कैसे हुआ RSF का जन्म?

रेड क्रॉस प्रमुख स्पोल्जारिक ने रियाद में रॉयटर्स से बातचीत में कहा कि अल-फशीर से हजारों लोग भाग चुके हैं, लेकिन अब भी दसियों हजार लोग वहां बिना खाना, पानी और इलाज के फंसे हुए हैं। उन्होंने कहा, “हर बार जब किसी शहर पर दूसरा पक्ष कब्जा करता है तो हालात और बदतर हो जाते हैं।“

बता दें, यह वही दारफुर क्षेत्र है जहां 2000 के दशक में जातीय हिंसा और नरसंहार जैसी घटनाएं हुई थीं, जिनमें लाखों लोग मारे गए थे। उस समय की जंजावीद मिलिशिया से ही RSF का जन्म हुआ था।

स्पोल्जारिक ने कहा कि ICRC को अल-फशीर के सऊदी अस्पताल में संभावित नरसंहार की खबरे मिली हैं, लेकिन अभी इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। उन्होंने बताया कि पास के तविला शहर में ICRC टीम को ऐसी रिपोर्ट मिली हैं कि भागते लोग थकान या चोटों की वजह से रास्ते में ही दम तोड़ रहे हैं।
अमेरिका का RSF पर आरोप

अमेरिका ने पहले दारफुर के जिनेना शहर में RSF पर जनसंहार करने का आरोप लगाया था, जिसे RSF ने खारिज किया है। मानवाधिकार संगठनों ने भी RSF और सहयोगी गुटों पर जातीय सफाए के आरोप लगाए हैं।

रेड क्रॉस प्रमुख ने कहा कि जिन देशों का इस युद्ध में किसी भी पक्ष पर प्रभाव है, उन्हें नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। बताया जाता है कि संयुक्त अरब अमीरात (UAE) पर RSF को सैन्य मदद देने के आरोप लगे हैं, हालांकि उसने इससे इनकार किया है। दूसरी और सूडान की सरकारी सेना को मिस्र और ईरान से मदद मिलती रही है, जिससे ईरा निर्मित ड्रोन भी शामिल हैं।
खतरनाक स्थिति में लोग

अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) के अनुसार, 26 अक्टूबर से अब तक 70 हजार लोग अल-फशीर से भाग चुके हैं, जबकि करीब 2 लाख लोग अब भी शहर में फंसे हैं। स्पोल्जारिक ने कहा कि दुनिया एक युद्ध के दशक से गुजर रही है, जहां पिछले 15 सालों में सशस्त्र संघर्षों की संख्या लगभग दोगुनी होकर 130 पहुंच गई है।

उन्होंने चेताया कि तेजी से बढ़ती सैन्य तकनीक, खासकर ड्रोन ने युद्ध को और खतरनाक बना दिया है। अल-फशीर में RSF के कब्जे से पहले स्थानीय लोगों ने बताया कि वे ड्रोन और गोलीबारी से बचने के लिए भूमिगत शरणस्तलों में छिपे हुए थे।

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