तेलंगाना बस एक्सीडेंट के बाद रोते-बिलखते लोग।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। तेलंगाना में हैदराबाद-बीजापुर हाईवे पर सोमवार (03 नवंबर, 2025) सुबह डंपर और बस के बीच हुई भीषण भिड़ंत में 20 लोगों की जान चली। इसमें कई परिवार बिखर गए, किसी ने अपनी बेटी खोई, किसी ने बेटा तो किसी ने पिता। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इनमें येल्लैया गौड़ भी शामिल हैं, जिनकी तीन बेटियों (तनुशा, साई प्रिया और नंदिनी) की इस हादसे में जान चली गई। ये तीनों ही हैदराबाद के एक कॉलेज में पढ़ती थीं। येल्लैया ने हाल ही में अपनी सबसे बड़ी बेटी अनुषा की शादी की थी, जिसमें पूरा परिवार खुश था और जश्न मनाया था। उनकी बेटियां एक और शादी में शामिल होने के लिए हैदराबाद से आई थीं।
\“अब मैं क्या करूंगा?\“
येल्लैया ने रोते हुए अपना दर्ज बयां किया और कहा, “मैंने उनसे आने के लिए मना किया था लेकिन उनकी मां ने उनसे आने के लिए कहा था। कल रात वो वापस जाना चाहती थीं। हमने उनसे सोमवार की सुबह जल्दी जाने के लिए कहा था। जब मैं उन्हें बस स्टॉप पर छोड़ रहा था तो किसी ने कहा कि बस की हालत ठीक नहीं लग रही, आप इन्हें क्यों भेज रहे हैं लेकिन मैंने उन्हें भेज दिया। मैंने एक नहीं बल्कि तीन बेटियों को खो दिया। अब मैं क्या करूंगा?“
सलीहा बेगम की कहानी
बजरी से भरे ट्रक से हुई आमने-सामने की टक्कर इतनी जोरदार थी कि उसमें मारे गए लोग कुचलकर दब गए। यह हादसा कई परिवारों को जिंदगीभर न भरने वाला जख्म देकर चला गया। इसी तरह से दूसरी दिल दहला देने वाली कहानी 33 साल की सलीहा बेगम के परिवार की है। सलीहा अपने तीन महीने के बेटे के साथ अपने नाना-नानी से मिलने हैदराबाद जा रही थीं।
जब बचाव कर्मियों ने कड़ी मशक्कत के बाद मलबा और कंकड़ हटाया तो उन्होंने देखा कि सलीहा अभी भी अपने बच्चे को पकड़े हुए थी। आखिरी बार गले लगाते मां और बच्चे के बीच का वो पल एक बेरहमी से टूटे हुए रिश्ते की कहानी कहता है।
10 साल का पिता को देख रोता रहा
वहीं एन हनुमंथु की जिंदगी उनके काम और परिवार के इर्द-गिर्द घूमती थी। उनको हैदराबाद जाना था और उनकी ट्रेन छूट गई, जिसके बाद उन्होंने बस से जाने का फैसला किया। वह अपने पीछे एक 10 साल का बेटा छोड़कर गए, जो दुर्घटना वाली जगह पर फूट-फूटकर रो रहा था।
ये सड़क हादसा इस बात की याद दिलाता है कि रोड एक्सीडेंट में होने वाली मौतें कोई आंकड़े नहीं बल्कि ये माता-पिता, बच्चे या परिवार के वह लोग हैं जो अचानक ही ऐसा खालीपन छोड़कर चले जाते हैं जिसे कभी भी भरा नहीं जा सकता।
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