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गाजीपुर में भाजपा नेता मन्नू बिंद की गिरफ्तारी के बाद थानाध्यक्ष शैलेंद्र कुमार पांडेय निलंबित

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कार्रवाई से राजनीतिक गलियारों से लेकर आम जनता तक चर्चाओं का दौर तेज हो गया है।



जागरण संवाददाता, गाजीपुर। दुष्कर्म के आरोपित को बचाने के मामले में भाजपा नेता मन्नू बिंद के जेल जाने के बाद अब कार्रवाई का सिलसिला पुलिस विभाग तक पहुंच गया है। पुलिस अधीक्षक डा. ईरज राजा ने शादियाबाद थाने में उप निरीक्षक पद पर तैनात कासिमाबाद के तत्कालीन थानाध्यक्ष शैलेंद्र कुमार पांडेय को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। इस कार्रवाई से राजनीतिक गलियारों से लेकर आम जनता तक चर्चाओं का दौर तेज हो गया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

ज्ञात हो कि भाजपा नेता मन्नू बिंद पर दुष्कर्म के आरोपित बालेंद्र बिंद को बचाने के लिए एक लाख रुपये लेने का आरोप लगा था। यह मामला तब उजागर हुआ था जब बालेंद्र के पिता संतोष बिंद ने बताया कि उन्होंने अपनी पत्नी के गहने व जेवर बेचकर भाजपा नेताओं को एक लाख रुपये दिए थे ताकि उनके बेटे को बचाया जा सके।

कोतवाल नंदकुमार तिवारी ने हस्तक्षेप करते हुए पूरी रकम वापस कराई और संतोष बिंद की पत्नी के बैंक खाते में रुपये जमा कराया गया। उनके इस कदम की क्षेत्र में व्यापक सराहना हो रही है।

एडीजी ने लिया संज्ञान, निष्पक्ष जांच का आदेश

जागरण में प्रकाशित इस प्रकरण पर एडीजी पीयूष मोर्डिया ने संज्ञान लेते हुए पूरे मामले की निष्पक्ष जांच का आदेश दिया था। इसके बाद ही पुलिस अधीक्षक ने पूरे मामले में व्यापक तौर जांच कराया और प्रथम दृष्टया तत्कालीन थानाध्यक्ष शैलेन्द्र कुमार पांडेय की भूमिका भी संदिग्ध मिलने पर यह कार्रवाई की गई।

आरोपों के दायरे में भाजपा के अन्य पदाधिकारी भी

बताया जा रहा है कि तीन जून को पहले आरोपित बालेंद्र बिंद के खिलाफ छेड़खानी का मुकदमा दर्ज हुआ था। बाद में पीड़ित दलित युवती ने मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान देकर अपने साथ दुष्कर्म की पुष्टि की, परंतु तत्कालीन कोतवाल ने दुष्कर्म व एससी/एसटी एक्ट की धारा नहीं जोड़ी। विवेचना को उलझाकर रखे जाने से पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे।

इस घटना से भाजपा संगठन के भीतर भी मन्नू बिंद की गिरफ्तारी और पुलिस कार्रवाई को लेकर हलचल मची हुई है। लोग तथा भाजपा नेता मामले की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की मांग कर रहे हैं। मन्नू बिंद ने गिरफ्तारी से पूर्व अपने कुछ परिचितों से बातचीत में कथित रूप से स्वीकार किया था कि उन्होंने एक पूर्व मंडल अध्यक्ष को एक लाख रुपये दिए हैं।

बताया जाता है कि उस पूर्व मंडल अध्यक्ष ने मोर्चा के एक जिला पदाधिकारी को आधी रकम पैरवी के लिए सौंप दी थी। चर्चा यह भी है कि इसके बाद आपस में भी कुछ रुपये का बंटवारा किया गया।

हालांकि, कोतवाल नंदकुमार तिवारी के हस्तक्षेप और कड़े रुख ने पूरे खेल को खत्म कर दिया। उन्होंने न केवल रकम वापस कराई बल्कि आरोपित के खिलाफ दुष्कर्म व एससी-एसटी एक्ट की धाराएं बढ़ाते हुए उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। अब इस मामले की जांच सीओ कासिमाबाद कर रहे हैं।

कोतवाल बोले कानून से कोई ऊपर नहीं

कासिमाबाद कोतवाल नंदकुमार तिवारी ने कहा कि जब उन्हें पूरे प्रकरण की जानकारी हुई, तो उन्होंने तुरंत कार्रवाई की दुष्कर्म व एससी/एसटी एक्ट की धारा बढ़ाकर आरोपित को जेल भेजा गया है। जांच जारी है, दोषियों को किसी भी स्थिति में बख्शा नहीं जाएगा, चाहे कितने ही प्रभावशाली क्यों न हो।
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