छह साल में आठ बार पाकिस्तान जा चुके थे दोनों हुसैनी भाई, फर्जी दस्तावेज देख जांच एजेंसियां चौंकीं

deltin33 2025-11-2 01:07:22 views 510
  



जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र का फर्जी विज्ञानी बनकर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआईएस के लिए भारतीय परमाणु प्रतिष्ठानों की जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किए अख्तर कुतुबुद्दीन हुसैनी व आदिल हुसैनी भाइयों के पास से बड़ी संख्या में देश व विदेश के फर्जी दस्तावेज मिलने से जांच भारतीय एजेंसी हैरान हैं। अख्तर से पास से पाकिस्तान का भी एक सिमकार्ड मिला है। दोनों भाई 2019 से 2024 के बीच आठ बार पाकिस्तान जा चुके थे। जांच एजेंसियां इन दोनों भाईयों से पूछताछ कर यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि वे पाकिस्तान क्यों गए थे। वहां जाकर उन्होंने भारतीय परमाणु प्रतिष्ठानों के लिए क्या जासूसी की है। अख्तर से पूछताछ करने स्पेशल सेल की एक टीम मुंबई भी गई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
खुद को बता रहा था लंदन का वैज्ञानिक

सूत्रों के मुताबिक पूछताछ में दोनों भाइयों से कई हैरान करने वाली जानकारी मिली है। अख्तर पहले जांच एजेंसी को यह कहकर गुमराह करता रहा कि वह लंदन का नागरिक है। मगर उसके पास से अलेक्जेंडर पाल्मर नाम से भारतीय विज्ञानी होने के नकली पासपोर्ट, पैन कार्ड, आधार कार्ड आदि कई दस्तावेज मिले। वह खुद को विदेशी पत्रकार भी बताता था और भारतीय विज्ञानी बनकर कई संस्थानों में आता जाता था।
जमशेदपुर से भी की गई एक गिरफ्तारी

दोनों भाइयों के ठिकाने से कई नकली पहचान पत्र, सिमकार्ड व विदेश की यात्रा करने के साक्ष्य मिले हैं। अख्तर से पूछताछ के आधार पर उसके करीबी मुजफ्फर अली को भी मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है वह जमशेदपुर का रहने वाला है। उसके मोबाइल की जांच की जा रही है। उसके पास से विदेशी मुद्रा भी मिले हैं। पुलिस का कहना है कि अख्तर लंबे समय से मुंबई के अंधेरी इलाके के जूहू सौर आइलैंड स्थित एक फ्लैट में पत्नी व बेटे के साथ रह रहा था।
फोरेंसिक लैब भेजे गए सभी दस्तावेज

दोनों भाईयों के ठिकाने से बरामद दस्तावेज को जांच के लिए फोरेंसिक लैब में भेज दिए गए हैं। दस्तावेज व तकनीकी जांच के मुताबिक अख्तर कई कंपनियों व विदेशी खातों से जुड़ा पाया गया है। दोनों भाईयों के पास कई देशों के सिमकार्ड मिले हैं जिनमें पाकिस्तान का नंबर भी शामिल है। पाल्मर के नाम से कोटक महिंद्रा बैंक का एनआरआइ खाता, एसबीआइ का क्रेडिट कार्ड व कई कंपनियों के मैनेजर के तौर पर फर्जी पहचान मिले हैं।
मोबाइल में दर्ज हैं पाकिस्तान और यूएई के नंबर

इसके अलावा टाटा हार्ड वेयर और विदेशी विश्वविद्यालय के नाम के भी जाली प्रमाणपत्र मिला है। जांच में यह सामने आया है कि पाल्मर नाम से अख्तर ने सन 2000 में लंदन की एक विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन का फर्जी सर्टिफिकेट बनाया था और बिहार विद्यालय परीक्षा समिति का एक प्रमाणपत्र और गांधी एक्सप्रेस एंड कंप्यूटर टाइपिंग इंस्टीट्यूट, जमशेदपुर का भी सर्टिफिकेट मिला है।

कुछ दस्तावेज उसके डाॅ. कुतुबुद्दीन अहमद के नाम से है। अख्तर से जो तीन पुराने मोबाइल मिले हैं उनमें कई देशों की सिमकार्ड और मेमोरी कार्ड मिले हैं। मोबाइल में पाकिस्तान और यूएई के कई लोगों के नंबर मिले हैं।

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