जिस डिश में हैम नहीं, उसका नाम कैसे पड़ा Hamburger? (Image Source: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। क्या आपने कभी सोचा है कि Hamburger में आखिर हैम तो होता ही नहीं, फिर भी इसका नाम ऐसा क्यों रखा गया है? जी हां, यह उन शब्दों में से एक है जिनका हम रोज इस्तेमाल करते हैं, लेकिन कभी उनके पीछे की कहानी पर ध्यान नहीं देते। नाम सुनकर किसी बच्चे को भी लगेगा कि शायद इसमें हैम यानी सूअर का मांस होगा। मगर जब आप ऑर्डर करते हैं, तो दो बन के बीच मिलती है चिकन या मटन से बनी हुई पैटी। तो आखिर इसका नाम आया कहां से (Hamburger Name Origin)? विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
दरअसल, इस नाम की जड़ें हमें लेकर जाती हैं 19वीं सदी के जर्मनी के एक प्रसिद्ध बंदरगाह शहर- हैमबर्ग तक, क्योंकि वहीं से शुरू हुई उस यात्रा की कहानी (Why Is It Called a Hamburger), जिसने आज पूरी दुनिया को ‘हैमबर्गर’ का दीवाना बना दिया।
हैमबर्ग से शुरू हुई कहानी
1800 के दशक में हैमबर्ग जर्मनी का एक व्यस्त व्यापारिक केंद्र था, जहां से यूरोप और अमेरिका के बीच व्यापारिक जहाज आते-जाते थे। वहीं के जर्मन प्रवासियों ने अमेरिका पहुंचकर अपने साथ कई पारंपरिक व्यंजन भी ले गए। इन्हीं में से एक था- “हैमबर्ग स्टाइल स्टेक”, जो बारीक कटे हुए बीफ, प्याज, ब्रेडक्रंब और मसालों को मिलाकर बनाया जाता था।
जर्मनी में इसे अक्सर कच्चा ही खाया जाता था, बिलकुल स्टेक टार्टार की तरह, लेकिन जब यही डिश अमेरिका पहुंची, तो वहां लोगों के स्वाद के अनुसार इसे पकाकर परोसा जाने लगा। यह जल्दी ही अमेरिकी बंदरगाह शहरों के कामकाजी लोगों में पॉपुलर हो गई, क्योंकि यह टेस्टी होने के साथ-साथ पेट भरने वाला सस्ता खाना भी था।
हैमबर्ग स्टेक से बना हैमबर्गर
समय के साथ किसी समझदार व्यक्ति ने यह विचार दिया कि अगर इस “हैमबर्ग स्टेक” को दो ब्रेड स्लाइस के बीच रख दिया जाए, तो इसे चलते-फिरते खाना आसान हो जाएगा। यही वह क्षण था जब “हैमबर्ग स्टेक” से “हैमबर्ग सैंडविच” बना, और बाद में नाम छोटा होकर रह गया- “हैमबर्गर”।
हालांकि, इसके असली आविष्कारक को लेकर कई दावे हैं- कोई कहता है कि यह पहली बार किसी अमेरिकन मेले में परोसा गया, तो कोई इसे किसी स्ट्रीट फूड वेंडर की देन मानता है, लेकिन यह तय है कि इस नए रूप ने खाने के इतिहास में क्रांति ला दी।
अमेरिका में छा गया हैमबर्गर
20वीं सदी की शुरुआत में जब अमेरिका में डाइनर और रोडसाइड रेस्टोरेंट्स तेजी से बढ़ने लगे, तो हैमबर्गर उनके मेन्यू का मुख्य आकर्षण बन गया। 1921 में “व्हाइट कैसल” नामक रेस्टोरेंट ने हैमबर्गर को एक स्टैंडर्डाइज्ड फास्ट फूड के रूप में पेश किया- सस्ता, टेस्टी और इस्टेंट रेडी। इसके बाद 1940 के दशक में “मैकडॉनल्ड्स” ने जब असेंबली लाइन कुकिंग का तरीका अपनाया, तो हैमबर्गर पूरी दुनिया में छा गया।
आज मैकडॉनल्ड्स, बर्गर किंग और वेंडीज जैसे ब्रांड्स हर दिन लाखों बर्गर बेचते हैं। इतना ही नहीं, हर देश ने अपने स्वाद और संस्कृति के अनुसार इस डिश को नया रूप दिया है- जापान में टेरियाकी बर्गर, मेक्सिको में टोर्टा हैमबर्गेसा और भारत में आलू टिक्की बर्गर।
नाम में ‘हैम’ कैसे रह गया?
अब सवाल यह है कि जब इसमें हैम नहीं होता, तो नाम में “हैम” क्यों रह गया? असल में “हैमबर्गर” शब्द का “हैम” से कोई लेना-देना नहीं, बल्कि यह “हैमबर्ग” शहर से निकला है। जब यह शब्द अमेरिका में प्रचलित हुआ, तो लोग “हैमबर्ग” को काटकर केवल “हैमबर्गर” कहने लगे।
बाद में जब चिकन, फिश या वेजिटेरियन बर्गर बनने लगे, तो लोगों ने उसी पैटर्न पर उन्हें “चिकन बर्गर” या “वेज बर्गर” कहना शुरू कर दिया। यानी “बर्गर” शब्द खुद ही एक स्वतंत्र पहचान बन गया।
भाषा और स्वाद का अद्भुत मेल
दिलचस्प बात यह है कि भाषा में कई बार शब्द अपने मूल अर्थ से अलग दिशा पकड़ लेते हैं। “हैमबर्गर” भी ऐसा ही उदाहरण है, जो कभी एक जर्मन शहर के नाम से जुड़ा था, वह आज एक ग्लोबल डिश का प्रतीक बन गया है।
अब तो हैमबर्गर सिर्फ स्ट्रीट फूड नहीं रहा; दुनिया भर के शेफ इसे प्रीमियम सामग्री और अनोखे स्वादों के साथ गौरमेट डिश के रूप में भी पेश करते हैं।
हमेशा से लाजवाब रहा है स्वाद
अब जब भी आप किसी रेस्टोरेंट में बर्गर ऑर्डर करें और किसी को यह कहते सुनें कि “इसमें तो हैम नहीं है!”, तो मुस्कुरा कर बताइए किहैमबर्गर में “हैम” नहीं, बल्कि “हैमबर्ग” शहर की ऐतिहासिक विरासत छिपी है।
नाम चाहे जैसा भी हो, इस डिश ने अपने स्वाद से पूरी दुनिया को एकजुट कर दिया है। एक ऐसा व्यंजन जो जर्मनी से चला, अमेरिका में पॉपुलर हुआ और अब हर देश के मेन्यू में अपनी जगह बना चुका है- यही है असली “हैमबर्गर” की कहानी।
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