जागरण संवाददाता, बरेली। उपद्रवियों पर पुलिस लगातार शिकंजा कस रही है। पुलिस की कार्रवाई को देख अब वह लोग भी सामने आ रहे हैं जो आरोपितों की डर की वजह से अभी तक शांत थे।
पिछले दिनों नफीस और उसकी पत्नी पर वक्फ की संपत्ति हड़पने का मुकदमा होने के बाद मलूकपुर निवासी साजदा अख्तर ने एसएसपी से गुहार लगाई कि उन्होंने पिछले वर्ष नफीस के बेटों समेत पांच लोगों पर जो प्राथमिकी लिखाई थी, पुलिस ने उसमें एफआर लगा दी। एसएसपी ने मामले की सीओ से जांच रिपोर्ट मांगी और उस मामले में पुन: विवेचना के आदेश किए हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
पिछले वर्ष 24 अप्रैल को मलूकपुर निवासी साजदा अख्तर ने कोर्ट के आदेश पर प्राथमिकी लिखाई थी। उन्होंने पुलिस को बताया कि वक्फ संख्या 96 उनका खानदानी वक्फ है।
इसमें किला के कटघर निवासी तसलीम, वासिफ यार खां, और शहजाद ने वर्ष 2022 में वक्फ बोर्ड लखनऊ को झूठा शिकायती पत्र दिया, जिसमें बताया कि वक्फ के खानदान का कोई भी व्यक्ति जीवित नहीं है और षड्यंत्र के तहत एक कमेटी बनवा ली।
यह बात जब साजदा को पता चली तो उन्होंने वक्फ बोर्ड को हकीकत बताई और बोर्ड ने उन्हें मुतावल्ली बना दिया। आरोप है कि इससे पहले की तिथि में आरोपितों ने एक फर्जी किरायानामा नफीस के दोनों बेटों नौमान खां और फरहान खां के हक में कर दिया।
इसके बाद वह खुद को किरायेदार बताने लगे। मामले में कोर्ट के आदेश से प्राथमिकी होने के बाद संबंधित विवेचक ने इस पूरे प्रकरण में एफआर लगा दी। अब जब उपद्रव के बाद पुलिस ने फिर से नफीस पर शिकंजा कसा तो साजदा अख्तर की उम्मीद जगी।
उन्होंने एसएसपी की गोपनीय हेल्पलाइन पर फोन कर पूरी बात बताई तो एसएसपी अनुराग आर्य ने सीओ प्रथम आशुतोष शिवम को जांच सौंपी उन्होंने जांच रिपोर्ट में बताया कि मामले में फाइनल रिपोर्ट गलत तरीके से लगाई गई। उसमें दोबारा विवेचना की संस्तुति की। इसके बाद एसएसपी ने अब दोबारा विवेचना के आदेश किए हैं। |