शहर के झज्जर रोड स्थित बिजली वितरण निगम का कार्यालय। जागरण  
 
  
 
जागरण संवाददाता, (गोबिंद सिंह) रेवाड़ी। बिजली वितरण निगम में लंबे समय से चल रहा सिफारिश का खेल उपभोक्ताओं पर भारी पड़ रहा है। सिफारिश ऐसी की लंबे समय से तकनीकी कर्मचारी फील्ड की बजाय दफ्तर में मौज ले रहे हैं। एक-एक जेई के पास दो से तीन सहायक फोरमैन व लाइनमैन मुंशी का कार्य कर रहे हैं, जिले में बिजली निगम के ऐसे कर्मचारियों की संख्या 100 से अधिक है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
 
हद तो यह है कि मुख्यालय की तरफ से बार-बार आदेश जारी होने के बावजूद तकनीकी स्टाफ को दफ्तरों से हटाकर फील्ड में नहीं भेजा जा रहा है। वहीं अधिकारियों के पास वही रटा रटाया जवाब होता है कि निगम में क्लेरिकल स्टाफ की कमी है। इसलिए अस्थायी रूट से ड्यूटी लगाई हुई है। पहले से ही बिजली वितरण निगम स्टाफ की कमी झेल रहा है।  
 
इतनी संख्या में कर्मचारियों के दफ्तर में बैठने से मरम्मत कार्य प्रभावित हो रहा है। स्टाफ की कमी के कारण न केवल शिकायतों के समाधान में दो-दो दिन तक समय लग रहा है, बल्कि फील्ड कर्मचारियों को आराम भी नहीं मिल पा रहा है। अगर रात को कहीं पर फाल्ट आ जाए तो दिन में ड्यूटी करने वाले कर्मचारियों को ड्यूटी संभालनी पड़ती है। कई सब डिवीजन में तो स्वीकृत पदों में से भी 50 प्रतिशत तक पद रिक्त पड़े हुए हैं।  
800 कर्मचारियों पर है जिले का जिम्मा  
 
बिजली वितरण निगम के जिले में तीन लाख 53 हजार उपभोक्ताओं हैं। वहीं वर्तमान में निगम के पास 800 के करीब कर्मचारी हैं, जिनमें से 100 से अधिक दफ्तरों में बैठे हैं। उपभोक्ताओं के हिसाब से वर्तमान में 900 से अधिक कर्मचारियों की जरूरत है। निगम के पास प्रतिदिन 200 के करीब बिजली से संबंधित शिकायतें पहुंचती हैं।  
 
वहीं वर्षा और अंधड़ के समय तो शिकायतों की संख्या तीना गुना तक बढ़ जाती हैं। ऐसे में स्टाफ के अभाव में मरम्मत का कार्य किस हिसाब से होता है, उसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। 
 
   
  
हमारे यहां पर अधिकांश तकनीकी स्टाफ की ड्यूटी फील्ड में ही लगी हुई है। कलेरिकल स्टाफ की कमी के चलते कार्यालयों में कार्य सुचारू रूप से संचालित करने के लिए जरूर कुछ कर्मियों की ड्यूटी लगाई हुई है। मुख्यालय के आदेशों का पूर्णत: पालन किया जा रहा है।   -  
 
पीके चौहान, अधीक्षण अभियंता बिजली वितरण निगम |