Akshaya Navami 2025: अक्षय नवमी का धार्मिक महत्व   
 
  
 
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, शुक्रवार 31 अक्टूबर को अक्षय नवमी है। यह पर्व हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर आंवले के पेड़ को साक्षी मानकर लक्ष्मी नारायण जी की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही आंवले पेड़ के नीचे भोजन पकाया जाता है। यह भोजन प्रसाद रूप में सबसे पहले भगवान शिव और विष्णु जी को भोग लगाया जाता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
 
    
 
अगर आप भी लक्ष्मी नारायण जी की कृपा पाना चाहते हैं, तो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर भक्ति भाव से भगवान नारायण की पूजा करें। वहीं, पूजा के अंत में ॐ जय जगदीश हरे की आरती का पाठ जरूर करें।  
ॐ जय जगदीश हरे आरती  
 
ॐ जय जगदीश हरे... 
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे। 
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥ 
ॐ जय जगदीश हरे...  
 
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का। 
स्वामी दुःख विनसे मन का। 
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥ 
ॐ जय जगदीश हरे...  
 
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी। 
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी। 
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ 
ॐ जय जगदीश हरे...  
 
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी। 
स्वामी तुम अन्तर्यामी। 
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥ 
ॐ जय जगदीश हरे...  
 
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता। 
स्वामी तुम पालन-कर्ता। 
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ 
ॐ जय जगदीश हरे...  
 
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति। 
स्वामी सबके प्राणपति। 
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥ 
ॐ जय जगदीश हरे...  
 
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे। 
स्वामी तुम ठाकुर मेरे। 
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ 
ॐ जय जगदीश हरे...  
 
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा। 
स्वामी पाप हरो देवा। 
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ 
ॐ जय जगदीश हरे...  
 
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे। 
स्वामी जो कोई नर गावे। 
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥ 
ॐ जय जगदीश हरे...  
मां लक्ष्मी की आरती  
 
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता 
तुम को निश दिन सेवत, हर विष्णु विधाता 
ॐ जय लक्ष्मी माता।।  
 
उमा रमा ब्रह्माणी, तुम ही जग माता 
सूर्य चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता 
ॐ जय लक्ष्मी माता।।  
 
दुर्गा रूप निरंजनि, सुख सम्पति दाता 
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धि धन पाता 
ॐ जय लक्ष्मी माता।।  
 
तुम पाताल निवासिनी, तुम ही शुभ दाता 
कर्म प्रभाव प्रकाशिनी, भव निधि की त्राता 
ॐ जय लक्ष्मी माता।।  
 
जिस घर तुम रहती सब सद्गुण आता 
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता 
ॐ जय लक्ष्मी माता।।  
 
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता 
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता 
ॐ जय लक्ष्मी माता।।  
 
शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता 
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता 
ॐ जय लक्ष्मी माता।।  
 
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई नर गाता 
उर आनंद समाता, पाप उतर जाता 
ॐ जय लक्ष्मी माता।।  
 
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