जागरण संवाददाता, महोबा। जिला पुरुष अस्पताल में करीब 14 माह में फायर सेफ्टी सिस्टम बनकर तैयार किया गया। कार्यदायी संस्था ने 29 सितंबर को सिस्टम अस्पताल को हैंडओवर कर दिया। लेकिन अभी तक स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षण नहीं दिया गया है। यदि अस्पताल में किन्ही कारणों से आग लगती है तो किसी अनहोनी से इंकार नहीं किया जा सकता। उधर सीएमएस डा. सुरेश कुमार ने बताया कि उच्चाधिकारियों को इसके लिए पत्राचार किया गया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
 
करीब एक साल पहले रानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कालेज झांसी के बच्चा वार्ड में आग लगी थी और फायर सेफ्टी सिस्टम फेल हो गया था। इस घटना में कई बच्चों की मौत भी हो गई थी। फायर सेफ्टी सिस्टम में तमाम सेंसर लगाए गए है जैसे धुआं और आग लगते ही सायरन बजेगा। लेकिन इसके बाद क्या करना है, कैसे करना है, इसकी किसी को जानकारी नहीं है।  
 
सिस्टम ओपीडी, वार्ड, इमरजेंसी, सीटी स्कैन, दवा भंडारण, रक्तकोष, डायलिसिस यूनिट में फैला है। सीएमएस डा. सुरेश कुमार ने बताया कि कार्यदायी संस्था ने प्लंबर को पानी खोलना आदि बताया और किसी प्रकार की कोई बारीकी नहीं बताई गई है। उन्होंने अधिकारियों को पत्र भेजकर |