deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

अर्जुन के इस अस्त्र से एक बार में ही समाप्त हो सकता था युद्ध, ये 4 शस्त्र भी थे बहुत शक्तिशाली

cy520520 6 day(s) ago views 1030

  

महाभारत युद्ध के दिव्य अस्त्र-शस्त्र। (Picture Credit: Freepik) (AI Image)



धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आज हम आपको महाभारत के युद्ध में इस्तेमाल हुए ऐसे शक्तिशाली अस्त्रों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके आगे टिक पाना, बड़े-से-बड़े योद्धा के बस के बाहर था।कुछ अस्त्र ऐसे भी थे, जिनके इस्तेमाल से पूरे युद्ध को एक बार में ही समाप्त किया जा सकता था। चलिए जानते हैं इस बारे में। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
केवल अर्जुन के पास था यह अस्त्र

भगवान शिव का पाशुपतास्त्र पूरी दुनिया का विनाश कर सकता था। महाभारत के युद्ध में केवल अर्जुन के पास ही यह अस्त्र था, जो उसने कठिन तपस्या के बाद भगवान शिव से प्राप्त किया था। लेकिन प्रलय की आशंका के चलते अर्जुन ने इसका प्रयोग युद्ध भूमि में नहीं किया।

  

(Picture Credit: Freepik) (AI Image)
अन्य शक्तिशाली अस्त्र -

1. ब्रह्मास्त्र - यह ब्रह्मा का सबसे घातक अस्त्र था, जिसका उपयोग महाभारत की युद्ध भूमि में किया गया था। एक ब्रह्मास्त्र को केवल दूसरा ब्रह्मास्त्र ही काट सकता था। महाभारत के युद्ध में अर्जुन, कर्ण, श्रीकृष्ण, युधिष्ठिर, अश्वत्थामा और द्रोणाचार्य के पास इसे चलाने की शक्ति थी।

2. नारायणास्त्र - यह शस्त्र भगवान विष्णु का एक अत्यंत शक्तिशाली अस्त्र था, जो लगातार लाखों घातक प्रक्षेपास्त्रों की बौछार करता था। इस, अस्त्र को चलाने के बाद कोई दूसरा शस्त्र इसे काट नहीं सकता था। इससे बचाव का एकमात्र उपाय यह था कि इसके सामने पूरी तरह से समर्पण कर दिया जाए। महाभारत के युद्ध में इसका उपयोग अश्वत्थामा द्वारा अपने पिता द्रोणाचार्य की मृत्यु का बदला लेने के लिए पांडवों की सेना पर किया गया था, जिससे हजारों सैनिक मारे गए।

  

(Picture Credit: Canva) (AI Image)

3. आग्नेय अस्त्र - यह मंत्र शक्ति से बना एक बाण था, जो अपने लक्ष्य को जलाकर राख कर देता था। इसे केवल पर्जन्य अस्त्र से ही काटा जा सकता था, जो पानी की बरसात कर सकता था। महाभारत के युद्ध में यह अस्त्र अर्जुन के पास था, जो उसे गुरु द्रोणाचार्य से प्राप्त हुआ था।

4. वासवी शक्ति - यह इंद्र का अमोघ अस्त्र था, जो कभी भी विफल नहीं हो सकता था। कर्ण ने इस अस्त्र को अर्जुन के लिए संभाल कर रखा था, लेकिन उसे इस अस्त्र का इस्तेमाल घटोत्कच को मारने के लिए करना पड़ा। इस अस्त्र की एक खास बात यह भी थी, कि इसे केवल एक बार ही इस्तेमाल किया जा सकता था।

यह भी पढ़ें - क्या आप जानते हैं द्रौपदी की इकलौती बेटी के बारे में? भगवान श्रीकृष्ण से था ये रिश्ता

यह भी पढ़ें - Mahabharat story: महाभारत ग्रंथ की महत्वपूर्ण घटनाएं, जिन्होंने युद्ध में निभाई भूमिका

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
like (0)
cy520520Forum Veteran

Post a reply

loginto write comments

Explore interesting content

cy520520

He hasn't introduced himself yet.

210K

Threads

0

Posts

610K

Credits

Forum Veteran

Credits
66665