राज्य ब्यूरो, लखनऊ। मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की घोषणा के साथ ही सपा ने प्रक्रिया पर सवाल खड़े करना शुरू कर दिया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव जिलों में अधिकारियों की तैनाती में पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक (पीडीए) की हिस्सेदारी को लेकर प्रश्न उठाए। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
 
वहीं, पार्टी की ओर से मुख्य निर्वाचन अधिकारी को ज्ञापन सौंप बीएलओ, एडीएम (निर्वाचन) और ईआरओ को जाति-धर्म के आधार पर नियुक्त किए जाने का आरोप लगाया और एसआईआर से पहले बदलने की मांग की है।   
 
सपा प्रमुख ने मंगलवार को एक्स पर दो पोस्ट में ग्राफिक्स साझा किए, जिनमें बुलंदशहर, गाजियाबाद, आगरा, गौतमबुद्धनगर और हाथरस में अधिकारियों की तैनाती में पीडीए की भागीदारी कम दर्शाई गई है।  
 
सपा प्रमुख ने लिखा, भाजपा राज में 90 प्रतिशत पीडीए के साथ नाइंसाफी का आंकड़ा। एसआईआर में लगे कर्मियों का आंकड़ा चुनाव आयोग से मिलते ही प्रकाशित किया जाएगा।  
 
साथ ही यह भी बताया जाएगा किस समाज के लोगों को खासतौर से रखा गया है और किसको खासतौर से हटाया गया है। दूसरी तरफ सपा प्रदेश अध्यक्ष की ओर से पार्टी नेताओं ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा को ज्ञापन सौंपा।  
 
ज्ञापन में आरोप लगाया कि प्रदेश में भाजपा सरकार की मानसिकता वाले बीएलओ और अधिकारियों को नियुक्त किया गया है। एसआईआर से पूर्व सभी जाति व धर्म के लोगों को शामिल करके निष्पक्ष तरीके से नियुक्ति कराई जाए। जिससे निर्वाचन आयोग की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न न लग सके।  
 
ज्ञापन में पार्टी की ओर से पूर्व में की गई शिकायतों का भी हवाला दिया गया है। वहीं, अखिलेश यादव प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली को लेकर भी सरकार पर हमला बोला है। |