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बिखरते परिवार के खेवनहार बने देहरादून डीएम सविन बंसल, अब हर ओर हो रही वाहवाही

Chikheang 7 day(s) ago views 661

  भरणपोषण एक्ट में दायर वाद पर डीएम ने सुनवाई के बाद दूर कराए परिवार के मनमुटाव. File





जागरण संवाददाता, देहरादून। मनमुटाव के कारण बहू-बेटे को तीन नौनिहालों के साथ घर से बेदखल करने के मामले में जिलाधिकारी सविन बंसल ने सूझबूझ का परिचय देकर परिवार का विखंडन बचा लिया।

करीब सत्तर वर्षीय बुजुर्ग दंपती ने जिला मजिस्ट्रेट न्यायालय में भरणपोषण एक्ट में अंतर्गत वाद दायर किया था। सुनवाई के दौरान जिलाधिकारी ने न केवल बेटे व बहू को माता-पिता के प्रति कर्तव्यों का एहसास कराया। बल्कि फरियादी बुजुर्ग दंपती को भी समझाया कि बेटा-बहू ही उनके बुढ़ापे की लाठी हैं। परिवार के सदस्यों का मनमुटाव खत्म कराकर जिलाधिकारी ने सभी से एक-साथ प्रेमपूर्वक रहने की अपील की, जिस पर सभी ने सहमति जताई और एक परिवार बिखरने से बच गया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें





गत 22 अगस्त को खुड़बुड़ा निवासी बुजुर्ग दंपती जसंवत सिंह व उनकी पत्नी जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे थे।दंपती ने जिलाधिकारी सविन बंसल से मुलाकात कर अपने बेटे व बहू पर उन्हें प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए बेटे-बहू को संपत्ति से बेदखल करने की अपील की थी।

दंपती ने बेटे-बहुू से नाराज होकर न्यायालय जिला मजिस्ट्रेट में भरणपोषण अधिनियम में वाद दर्ज कराया। जिलाधिकारी ने दो ही सुनवाई में मामले को समझा व दोनों पक्षों से अलग-अलग बात की। इस दौरान परिवार के विखंडन का कारण बन रहे आपसी विवाद को लेकर



दोनों पक्षों को एक-साथ बैठाकर वार्ता की। जिलाधिकारी ने सभी को एक-दूसरे के कर्तव्य एवं जिम्मेदारियों का स्मरण कराया और आपस में मिलकर रहने का अनुरोध किया। निर्धन बेटा-बहू को भी बुजुर्गों को साथ रखने के पारिवारिक छत्रछाया से जुड़े लाभ गिनाए और बुजुर्ग दंपती को इस अवस्था में पुत्र व उसके परिवार का साथ न छोड़ने के लिए प्रेरित किया।

बुजुर्ग दंपती के तीन मासूम पोते-पोतियां भी हैं, जिनके भविष्य की चिंता पर संकट होने का जिक्र किया गया। साथ रहने को लेकर हुई सुलह के बाद जिलाधिकारी ने कहा कि जिला प्रशासन की ओर से निरंतर मानिटरिंग की जाएगी। दोनों पक्षों को एक-दूसरे के अधिकारों का अतिक्रमण नहीं करने का भी आग्रह किया गया।


दो पुत्र परिवार संग रहते हैं अलग

बुजुर्ग दंपति के चार बेटे हैं, जिनमें दो अपने परिवार संग अलग रहते हैं। एक बेटा दिव्यांग और चौथा बेटा बंसी है। बुजुर्ग दंपती बंसी, उसकी पत्नी, दो पौत्रियां व एक पौत्र समेत दिव्यांग बेटे को भी घर से बेदखल करना चाह रहे थे। बंसी का कपड़े का अल्प व्यवसाय है तथा आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है।
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