पटना में डेंगू का कहर जारी। (जागरण)  
 
  
 
जागरण संवाददाता, पटना। राजधानी पटना में डेंगू के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी किए गए ताजे आंकड़ों के अनुसार, इस सीजन में अब तक कुल 1228 डेंगू पॉजिटिव मामले दर्ज किए जा चुके हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
 
विशेष तौर पर पिछले 24 घंटों में 15 नए मरीज सामने आए हैं। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, डेंगू के मामलों में 21-30 वर्ष के आयु वर्ग में सबसे अधिक मरीज पाए जा रहे हैं, जिनकी संख्या 439 तक पहुंच चुकी है। इसके अलावा, पिछले तीन महीनों में डेंगू के मामलों में एक बड़ा उछाल देखा गया है।  
 
जनवरी से जून तक जहां केवल 53 मामले सामने आए थे, वहीं जुलाई में यह संख्या बढ़कर 24 हो गई थी। अगस्त के बाद से मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है और इस महीने के अंत तक डेंगू के 213 मामले दर्ज किए गए हैं। सितंबर में यह आंकड़ा 540 तक पहुंच गया, जबकि अक्टूबर के पहले 20 दिनों में 393 मामले दर्ज किए गए।  
डेंगू का चरम अगले महीने तक रहने की संभावना  
 
पटना सिविल सर्जन डॉ. अविनाश कुमार सिंह ने बताया कि इस वर्ष डेंगू के मामले पिछले वर्ष की तुलना में आधे से भी कम हैं, लेकिन यह अभी तक बढ़ते जा रहे हैं।  
 
उन्होंने अनुमान जताया कि नवंबर तक डेंगू का प्रकोप चरम पर रहेगा। उन्होंने कहा कि नागरिकों से अपील की है कि वे डेंगू से बचाव के लिए विशेष सतर्कता बरतें और सुरक्षा के उपायों को अपनाएं।  
डेंगू से बचाव के उपाय  
 
डेंगू फैलाने वाले एडीज मच्छर साफ और रुके हुए पानी में पनपते हैं और यह मच्छर दिन में ज्यादा सक्रिय होते हैं। इस पर काबू पाने के लिए नागरिकों को अपने घर और आसपास के क्षेत्रों में पानी के ठहरे हुए स्रोतों जैसे कूलर, गमले, टूटे-फूटे बर्तन और छतों पर जमा पानी को साफ करने की सलाह दी गई है।  
 
इसके अलावा, हर सप्ताह इन जगहों को खाली और साफ करना आवश्यक है। बताया कि मच्छरदानी का उपयोग रात और दिन दोनों समय किया जाना चाहिए, खासकर बच्चों के लिए।  
 
इसके अलावा, फुल स्लीव्स शर्ट और पैंट पहनने से भी डेंगू से बचाव हो सकता है। जलजमाव वाले क्षेत्रों में एंटी-लार्वा रसायन का छिड़काव और फागिंग नियमित रूप से करने की सलाह दी गई है।  
लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें  
 
अगर किसी व्यक्ति में तेज बुखार, सिरदर्द, या डेंगू के अन्य गंभीर लक्षण दिखें, तो उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और स्वयं से दवाइयां लेने से बचना चाहिए। डॉ. अविनाश कुमार सिंह ने कहा कि जल्द इलाज शुरू करने से मरीज जल्दी ठीक हो सकते हैं और गंभीर स्थिति से बच सकते हैं। |