प्रवीण तिवारी, अयोध्या। दीपावली पर रामलला का धाम उत्सव धर्मिता के रंग में डूबा रहा। कोना -कोना प्रकाश से आलोकित हुआ, तो इस बीच रामलला का मुग्ध कर देने वाला रूप भक्तों को खूब निहाल करता रहा। इस अवसर पर भगवान ने गुजराती रेशम से बने वस्त्र धारण किये। इसे गुजरात के प्रसिद्ध पाटन पटोला डबल इकत (बुनाई की विशिष्ट शैली) रेशम से तैयार किया गया था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
पाटन पटोला में असली धातु के धागों का प्रयोग कर तैयार किया गया। हाथ की कढ़ाई विशिष्ट है। ये देश का सबसे महंगा रेशम है। भगवान की यह पोशाक चार माह में तैयार की गयी। इसके अलावा रामलला ने कीमती आभूषण भी धारण किये।
दरअसल रामलला के लिए पर्व व सामान्य दिनों के लिए अलग-अलग आभूषण निर्मित कराये गये हैं। इसके अतिरिक्त रामदरबार में विराजित राजा राम सहित परिवार के अन्य सदस्यों को आंध्र प्रदेश के धर्मावरम के सुनहरे व गुलाबी रंग के रेशम से बने वस्त्र धारण कराये गये। साथ ही मां दुर्गा व अन्नपूर्णा माता को मध्य प्रदेश के चंदेरी रेशम की साड़ी भेंट की गई।
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट ने दीपावली पर्व पर प्रभु रामलला के लिए विशेष पीतांबरी तैयार करायी, जो उन्हें सुबह महाभिषेक के बाद श्रृंगार के समय पहनायी गयी। रामलला के वस्त्र तैयार कराने वाले प्रख्यात डिजाइनर मनीष त्रिपाठी बताते हैं कि रामलला के लिए नित्य नये वस्त्र तैयार किये जाते हैं। उनका रंग दिन के अनुरूप होता है।
पर्वों पर पीले रंग के वस्त्र पहनाये जाते हैं। ये देश के विभिन्न प्रांतों के विख्यात रेशम से निर्मित होते हैं। गर्मी व सर्दी के लिए अलग -अलग वस्त्र निर्मित होते हैं। बताया कि इस बार की दीपावली के लिए पाटन पटोला रेशम से वस्त्र तैयार किये गये, जो भारतीय परंपरा के अनुरूप हैं, इसी से वस्त्र निर्मित कर भगवान के चरणों में अर्पित किये गये।
मनीष ने बताया कि पाटन पटोला डबल इकत बुनाई शैली है, जिसमें धागों को बुनने के पहले रंगा जाता है। रंगाई इस तरह होती है कि बुनाई करते हुए इस पर विशिष्ट आकृति प्रदर्शित होती है। |