प्रतीकात्मक तस्वीर।  
 
  
 
जागरण संवाददाता, पलवल। देवउठनी एकादशी इस बार एक नवंबर को पड़ रही है। इस दिन बाल विवाह होने का अंदेशा बना रहता है। ऐसे जिला प्रशासन ने इसे रोकने के लिए पूरी तैयारी कर रखी है।   
 
बता दें कि बाल विवाह अनैतिक एवं गैरकानूनी कृत्य की श्रेणी में आता है। बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के अन्तर्गत कानूनी अपराध है। जिला प्रशासन बाल विवाह रोकथाम के लिए सतर्क है।  
 
जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी बिजेंद्र कुमार के अनुसार संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध विभाग द्वारा देवउठनी ग्यारस पर बाल विवाह रोकने के लिए अभियान चलाकर आमजन को बाल विवाह न करने के लिए जागरूक किया जा रहा है।  
 
उन्होंने बताया कि जागरूकता कार्यक्रम के दौरान महिलाओं व आमजन को बाल विवाह जैसी बुराई को जड़ से खत्म करने का आह्वान किया जा रहा है। इसमें सभी का सहयोग आवश्यक है।  
 
उन्होंने बताया कि बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के तहत 18 वर्ष से कम आयु की लड़की व 21 वर्ष से कम आयु के लड़के को नाबालिग माना जाता है। यदि कम आयु में विवाह किया जाता है तो यह गैर जमानती कानूनी अपराध है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
 
ऐसा कोई भी व्यक्ति जो बाल विवाह करवाता है, उसको बढ़ावा देता है या उसकी सहायता करता है, तो दो साल तक की सजा और एक लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।  
 
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