cy520520                                        • 2025-10-20 08:06:22                                                                                        •                views 375                    
                                                                    
  
                                
 
  
 
    
 
Kali Puja 2025: 20 अक्टूबर, सोमवार रात 12 बजे निशा पूजा के साथ विधि-विधान और मंत्रोच्चार के बीच मां काली की प्रतिमा वेदी पर स्थापित होगी।  
 
  
 
संवाद सहयोगी, भागलपुर। Kali Puja 2025 दीपावली की रात्रि जब संसार का हर दीप अंधकार को चुनौती देता है, उसी पावन घड़ी में भागलपुर की धरती पर मां काली के जागरण का महापर्व प्रारंभ होगा। शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक काली पूजा की तैयारियां पूर्ण हो चुकी हैं। मंदिर परिसर फूलों और रंग-बिरंगी झालरों से सुसज्जित हैं तो काली स्थानों पर भव्य पंडालों में देवी स्वरूपा के आगमन का इंतजार हो रहा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
 
सोमवार की आधी रात को विधि-विधान और मंत्रोच्चार के बीच मां काली की प्रतिमा वेदी पर स्थापित होगी। मंगलवार को सुबह से ही भक्त माता के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करेंगे। स्त्रियां परंपरा अनुसार खोइंचा चढ़ाकर माता से सुख-समृद्धि की कामना करेंगी। कई स्थानों पर भक्त अपनी श्रद्धा स्वरूप माता को बली भी अर्पित करेंगे।  
 
मुख्य आकर्षण परबत्ती का प्राचीन बुढ़िया काली मंदिर  
 
परबत्ती स्थित ऐतिहासिक बुढ़िया काली मंदिर में रात के 12 बजे निशा पूजा के साथ मां काली की प्रतिमा स्थापित होगी। मंगलवार को मंदिर प्रांगण में विशाल मेला भी लगेगा। पूजा समिति के सचिव राजा मंडल ने बताया कि 22 अक्टूबर को विधि-विधान से आरती और हवन के बाद शाम को विसर्जन शोभायात्रा निकाली जाएगी। शोभायात्रा के उपरांत परबत्ती चौक पर सामूहिक महाआरती से सम्पूर्ण क्षेत्र देवीमय हो उठेगा।  
 
तारापीठ का दर्शन कराएगा इशाकचक बुढ़िया काली मंदिर  
 
इशाकचक स्थित प्रसिद्ध बुढ़िया काली मंदिर इस बार भव्य और आकर्षक पंडाल का निर्माण कराया है। पंडाल का थीम कोलकाता के तारापीठ मंदिर को जीवंत कर रहा है जो शहर का आकर्षण बन गया है। 60 फीट ऊंचा, सात फीट ऊंची माता की दिव्य प्रतिमा भक्तों को अलौकिक अनुभूति कराएगी। मंदिर सचिव संदीप मिश्रा उर्फ मोनू के अनुसार 21 अक्टूबर को सूफी गजल संध्या भी आयोजित होगी, जिससे वातावरण आध्यात्मिक रस से सराबोर होगा।  
 
मंदिर परिसर दिन-रात रोशनी की झालर और रंगीन लाइटों से आलोकित है। यहां दूर-दराज से भक्त पहुंचते हैं। मान्यता है कि सच्चे मन से मां की आराधना करने पर मां काली साधक की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। इस मंदिर में आज भी तांत्रिक पद्धति से विधिवत पूजा संपन्न होती है, जो इसकी प्राचीन परंपरा को जीवंत बनाए हुए है।  
 
स्मशानी काली, मशानी काली, जंगली काली, बमकाली जैसे सौ से अधिक स्थलों पर भी मां काली की प्रतिमा स्थापित होगी। संपूर्ण भागलपुर आज देवी के स्वागत को आतुर है। आज रात अंधकार पर शक्ति का जयघोष होगा और कल सुबह मां के दर्शन से हर भक्त का हृदय आलोकित। |   
                
                                                    
                                                                
        
 
    
                                     
 
 
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