deltin33                                        • 2025-10-19 23:38:01                                                                                        •                views 602                    
                                                                    
  
                                
 
  
 
    
 
एक किडनी स्वस्थ जीवन के लिए विशेषज्ञ सलाह (फाइल फोटो)  
 
  
 
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एक किडनी के साथ पैदा हुए बच्चे उचित देखभाल, नियमित निगरानी और माता-पिता के सहयोग से पूर्ण एवं स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। ऐसी स्थिति को यूनीलेटेरल रीनल एजेनेसिस कहा जाता है। विश्व स्तर पर लगभग 1,000 में से एक बच्चा केवल एक किडनी के साथ पैदा होता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
 
दूसरी ओर, 1,000 में से एक बच्चे के दो किडनी तो हो सकते हैं, मगर केवल एक ही ठीक से काम कर रही होती है। हालांकि इसका पता चलने पर शुरुआत में यह चिंता का विषय तो हो सकता है, लेकिन आशा और आश्वासन का संदेश देते हुए भारतीय बाल स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया है कि एक स्वस्थ किडनी दो किडनी का काम करने में सक्षम होती है।  
एक किडनी वाले बच्चों में क्या होती है समस्या?  
 
गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में बाल चिकित्सा (शल्य और मूत्रविज्ञान) के निदेशक डा. संदीप कुमार सिन्हा ने कहा, \“\“माता-पिता अक्सर यह जानकर चिंतित हो जाते हैं कि उनके बच्चे की एक ही किडनी है। लेकिन, वास्तविकता यह है कि इनमें से अधिकांश बच्चे बिना किसी समस्या के ही बड़े होते हैं।\“\“  
 
उन्होंने आगे कहा, \“\“नियमित जांच और जीवनशैली में कुछ सावधानियों के साथ वे अन्य बच्चों की तरह ही सभी गतिविधियों और अवसरों का आनंद ले सकते हैं।\“\“ प्रसवपूर्व इमेजिंग में प्रगति के कारण अब ऐसे कई मामलों का जन्म से पहले ही पता चल जाता है, जिससे परिवार पहले दिन से ही उचित देखभाल के लिए तैयारी कर सकते हैं।  
 
बाल रोग विशेषज्ञ यह सुनिश्चित करने के लिए रक्तचाप और मूत्र प्रोटीन के स्तर की वार्षिक जांच की सलाह देते हैं कि किडनी समय के साथ स्वस्थ रहे। ये परीक्षण किडनी पर तनाव के शुरुआती लक्षणों, जैसे प्रोटीन रिसाव या उच्च रक्तचाप का पता लगाने में मदद करते हैं, जिनका समय पर पता चलने पर प्रभावी ढंग से उपचार किया जा सकता है।  
नियमित जांच है जरूरी  
 
इंडियन सोसाइटी आफ पीडियाट्रिक नेफ्रोलाजी सहित कई स्वास्थ्य संगठन इस समस्या से जूझ रहे परिवारों के लिए जागरूकता बढ़ाने और सहायता प्रदान करने का आह्वान कर रहे हैं। वे इसकी शीघ्र पहचान, नियमित जांच और माता-पिता व स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के बीच खुले संवाद के महत्व पर भी जोर देते हैं।  
 
रेनबो चिल्ड्रन्स हास्पिटल के बाल रोग विशेषज्ञ डा. अमित अग्रवाल ने कहा, “सटीक जानकारी के साथ परिवारों को सशक्त बनाना महत्वपूर्ण है।“ उन्होंने आगे कहा, “एक किडनी वाले बच्चे की पहचान उसकी सीमाओं से नहीं, बल्कि उसकी आगे बढ़ने की क्षमता और दृढ़ता से होती है।“ |   
                
                                                    
                                                                
        
 
    
                                     
 
 
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