तेजस्वी यादव, मुकेश सहनी और राहुल गांधी।
राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के नामांकन की उल्टी गिनती के बीच विकासशील इंसान पार्टी प्रमुख मुकेश सहनी के बागी तेवर खुलकर सामने आने के बाद उन्हें मनाने का खेल गुरुवार को दिन भर जारी रहा। हालांकि, इस बीच वीआईपी की ओर से दावा किया गया कि राहुल गांधी ने स्वयं सहनी को फोन कर सीटों के लिए आश्वस्त किया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
दूसरी ओर, सूत्रों के हवाले दावे किए जा रहे हैं कि सहनी की नाराजगी के बाद मां गठबंधन की ओर से उन्हें 15 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऑफर मिला है। इसके अलावा विधान परिषद की एक सीट दिए जाने का आश्वासन भी दिया गया है। सूत्रों की माने तो वीआईपी संस्थापक मुकेश साहनी शुक्रवार को गौड़ाबौराम से अपना पर्चा दाखिल कर सकते हैं।
सहनी चुनावी प्रक्रिया प्रारंभ होने के पूर्व से ही महागठबंधन के साथ लगातार सक्रिय रहे हैं, परंतु सीट बंटवारे में उनकी काफी अनदेखी की गई।
राजद, कांग्रेस और वामदलों तक ने अपने उम्मीदवारों को सिंबल देकर नामांकन की हरी झंडी भी दे दी, लेकिन महागठबंधन के प्रमुख सहयोगी वीआईपी की नाव मंझधार में फंसी थी। वीआईपी को कितनी सीटें मिलेंगी, उनके उम्मीदवार कहां से लड़ेंगे यह तस्वीर साफ नहीं थी। जिसके बाद सहनी के सब्र का बांध टूट पड़ा।
सहनी ने गुरुवार को आनन-फानन में पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुला ली। प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाए जाने की सूचना से महागठबंधन खेमे में हड़कंप मच गई। इसके बाद पटना से लेकर दिल्ली तक से सहनी को मनाने का सिलसिला शुरू हुआ। आलम यह रहा कि सहनी की 12 बजे होने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस दिन भर में तीन बार टली और अंतत रद हो गई।
सूत्रों ने बताया कि सहनी को अंतिम समय में 15 सीटें दिए जाने की बात सामने आई। हालांकि ये सीटें कौन होंगी, 15 ही होगी या फिर इससे कम या ज्यादा इस पर किसी भी सहयोगी दल की ओर से कोई आश्वासन नहीं मिला। वीआईपी नेता सुनील कुमार ने कहा कि पार्टी प्रमुख को राहुल गांधी का फोन आया है। बात बढ़ी है। उम्मीद है सब बेहतर ही होगा।
देर रात तक हालांकि सहनी की पार्टी को मिलने वाली सीटों को लेकर असमंजस बना रहा। हालांकि सूत्रों ने दावा किया कि 15 सीटों पर बात करीब करीब तय हो गई है और शुक्रवार को सहनी दरभंगा की गौराबौराम विधानसभा सीट से नामांकन दाखिल करेंगे। यह वही सीट है जिस पर पहले से राष्ट्रीय जनता दल ने अपना उम्मीदवार घोषित किया था।
अब खबर है कि राजद अपना सिंबल वहां से वापस ले सकती है। यदि यही सच्चाई है तो यह कदम सिर्फ सीट शेयरिंग नहीं बल्कि सामाजिक समीकरणों को साधने की एक रणनीति होगी, क्योंकि गौराबौराम क्षेत्र में निषाद और पिछड़ा वर्ग का वोटबैंक निर्णायक भूमिका निभाता है। हालांकि, एक दावा यह भी किया जा रहा है कि यदि सहनी को धोखा देने की कोशिश की गई तो उनकी पार्टी अकेले ही चुनाव मैदान में उतार सकती है।
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