सभी पांडा पर चीन का होता है मालिकाना हक? (Picture Courtesy: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। पांडा बेहद प्यारे जानवर होते हैं, लेकिन यह प्रजाति उतनी ही दुर्लभ भी है। इसलिए चिड़ियाघरों में पांडा की खास देखभाल की जाती है। लेकिन क्या आप इनके बारे में एक दिलचस्प बात जानते हैं कि पांडा चाहे दुनिया के किसी भी चिड़ियाघर में क्यों न पैदा हों, उन पर मालिकाना हक चीन (China Panda Ownership) का ही होता है? विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
जी हां, यह बिल्कुल सच है। दुनियाभर के लगभग सभी पांडा पर चीन का हक है। आपको बता दें ऐसा चीन की एक खास नीति पांडा पॉलिसी (China Panda Policy) के कारण है। यह सिर्फ पांडा के प्रबंधन के लिए नहीं, बल्कि चीन की सॉफ्ट पावर और ग्लोबल रिलेशन्स का एक अहम हिस्सा है। आइए जानें इस बारे में।
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उपहार से व्यवसाय तक का सफर
इस नीति की जड़ें 1950 के दशक में हैं, जब चीन ने पहली बार पांडा को अन्य देशों को “राजनयिक उपहार“ के रूप में देना शुरू किया। यह दोस्ती और शुभकामनाओं का प्रतीक था। हालांकि, 1980 के दशक तक, पांडा एक एनडेंजर्ड स्पीसेज बन गए और अंतर्राष्ट्रीय समझौतों के कारण उनका व्यापार प्रतिबंधित हो गया। इसके बाद, चीन ने अपनी रणनीति बदल ली और “उपहार“ की जगह “ऋण“ या “लीज“ की व्यवस्था शुरू कर दी। यानी चीन किसी भी देश को पांडा एक सीमित समय के लिए उधार में देता है।
चीन की पांडा पॉलिसी कैसे काम करती है?
- चीन का स्वामित्व- चीन का यह साफ दावा है कि दुनिया का हर विशालकाय पांडा, चाहे वह कहीं भी पैदा हुआ हो, चीन की संपत्ति है। यह दावा उनके प्राकृतिक आवास पर आधारित है।
- संरक्षण पर जोर- चीन का कहना है कि यह नीति पांडा के संरक्षण और उनकी घटती आबादी को बढ़ावा देने के लिए है। विदेशों में पांडा भेजने का प्राथमिक उद्देश्य “रिसर्च“ बताया जाता है, ताकि उनके प्रजनन, व्यवहार और देखभाल के बारे में अंतरराष्ट्रीय सहयोग से जानकारी हासिल की जा सके।
- फाइनेंशियल कमीटमेंट- कोई भी देश चीन से पांडा “लीज“ पर ले सकता है, लेकिन इसकी कीमत बहुत ज्यादा है। देशों को हर साल लगभग 10 से 20 लाख अमेरिकी डॉलर का भुगतान करना पड़ता है। यह राशि सीधे चीन के पांडा कनजर्वेशन प्रोग्राम में जाती है।
पांडा पॉलिसी- चीन की सॉफ्ट पावर
पांडा पॉलिसी केवल पैसे और संरक्षण तक सीमित नहीं है। यह चीन की सॉफ्ट पावर और कूटनीति का एक अहम हिस्सा है। जब चीन किसी देश के साथ संबंधों को मजबूत करना चाहता है, तो पांडा एक “थॉटफुल गिफ्ट“ के रूप में काम करता है। उदाहरण के लिए, 1972 में अमेरिका-चीन संबंधों में पिघलाव के दौरान चीन ने अमेरिका को पांडा भेंट किए थे। इसी तरह, व्यापार समझौतों या डिप्लोमैटिक रिश्ते सुधारने के लिए पांडा ऋण में दिए जाते हैं।
साथ ही, पांडा जिस चिड़ियाघर में जाते हैं, वहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में भारी बढ़ोतरी होती है, जिससे उस देश को आर्थिक फायदा होता है। इससे इनडायरेक्टली चीन के साथ उस देश के आर्थिक संबंध भी मजबूत होते हैं।
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