रविप्रकाश श्रीवास्तव, अयोध्या। पगलाभारी विस्फोट कांड में एक चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई है। रामकुमार के घर पर तीन वर्ष में तीन बार संदिग्ध परिस्थितियों में विस्फोट हुए थे। दूध की जली बिल्ली मठ्ठा भी फूंक कर पीती है, लेकिन दो-दो विस्फोटों के बाद भी पुलिस ने इस कहावत से सबक नहीं लिया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
 
तीन-तीन धमाकों के बाद भी पूराकलंदर पुलिस ने गंभीरता से यह जानने की चेष्टा ही नहीं की कि बार-बार विस्फोट का केंद्र रामकुमार ही क्यों हैं। आटा चक्की के नाम पर चोरी-छुपे रामकुमार पटाखा बिक्री का अवैध धंधा करता था। रामकुमार के घर पहला धमाका नवंबर 2023 में हुआ था। यह घटना दीपावली के आसपास की बताई जा रही है।  
 
एक ग्रामीण ने बताया कि उस घटना में रामकुमार का दो मंजिला मकान क्षतिग्रस्त हुआ था, जबकि उसकी मां शिवपता आंशिक रूप से झुलस गई थीं। इस घटना का पुलिस ने संज्ञान नहीं लिया। इसके बाद वर्ष 2024 में रामकुमार की आटा चक्की में विस्फोट हुआ, जिसमें उसकी मां, पत्नी और गांव की एक युवती की मौत हो गई। इस घटना को गैस सिलेंडर से हुआ हादसा मान कर कार्रवाई नहीं की गई। प्राथमिकी भी दर्ज नहीं हुई।  
 
थाने स्तर पर इस घटना मात्र विवरण दर्ज किया गया। इसके बाद भी रामकुमार की निगरानी में कोताही बरती गई, जिसका दुष्परिणाम गुरुवार को तीसरे धमाके के रूप में दिखा, जिसमें रामकुमार के पूरे परिवार सहित छह लोगों की मौत हो गई। पुलिस की निगरानी में लापरवाही थी, जिसे महसूस करते हुए शनिवार को बीट के उपनिरीक्षक एवं सिपाही को निलंबित किया गया।  
गांव वालों से दूरी बना कर रहता था रामकुमार  
 
गांव में रामकुमार लंबे समय से अलथ-थलग था। वह गांव वालों से मेलजोल कम रखता था। वर्ष 2024 में हुए विस्फोट के बाद ग्रामीणों के विरोध को देखते हुए रामकुमार ने गांव के बाहर घर बना लिया था। चक्की में धमाके के बाद पटाखे के कारोबार को वह ग्रामीणों से छिपाता भी था। यह बात पुलिस की जांच में भी सामने आई है।  
 
एसटीएफ ने भी इस प्रकरण को लेकर जांच तेज कर दी है। गांव वालों के कई लोगों का बयान भी एसटीएफ ने दर्ज किया है। इसकी पुष्टि ग्रामीणों ने भी की है। ग्रामीणों के अनुसार टीम ने रामकुमार की परिवारिक एवं व्यावसायिक पृष्ठभूमि जानने के साथ ही अन्य जानकारियां एकत्र की हैं। |