डॉक्टर ने बताया नींद और आई हेल्थ का कनेक्शन (Picture Credit- Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हमारे शरीर में कई सारे अंग हैं, जिनका अलग महत्व और फंक्शन होता है। आंखें इन्हीं जरूरी अंगों में से एक है, जिसके बिना जीना कई लोगों के लिए नामुमकिन होता है। इसलिए आंखों की सेहत का ख्याल रखना बेहद जरूरी है और इसलिए इस बारे में लोगों को जागरूक करने के मकसद से हर साल 9 अक्टूबर को वर्ल्ड साइट डे मनाया जाता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
हमारी आंखों की सेहत पर कई फैक्टर्स का सीधा असर पड़ता है। नींद ऐसा ही एक फैक्टर है, जो शरीर और पूरी सेहत पर गहरा असर डालता है। हम कैसी नींद लेते हैं, इसका आई हेल्थ पर गहरा असर पड़ता है और इस बारे में जानने के लिए हमने मैक्स मल्टी स्पेशियलिटी सेंटर, पंचशील पार्क में मोतियाबिंद, लेसिक और ऑकुलोप्लास्टी की प्रिंसिपल डायरेक्टर और एचओडी डॉ. अनीता सेठी से बात की। आइए जानते हैं क्या कहते हैं डॉक्टर-
आंखों के लिए क्यों जरूरी है अच्छी नींद?
डॉक्टर बताती हैं कि नींद वह समय है, जब हमारा शरीर दिनभर की थकान से उबरता है और वास्तव में सेल्स खुद को रिपेयर करती हैं। इसी प्रकार, हमारी आंखों के चारों ओर की चिकनाई वाली टियर फिल्म, दिन भर की थकान के कारण थोड़ी ड्राई और डैमेज हो जाती है। ऐसे में जब हम रात में सोते हैं, तो हम अपनी आंखें बंद कर लेते हैं और तभी टियर फिल्म खुद को रिपेयर कर पाती है। इस तरह आंखों के अच्छे से रिपेयर होने के लिए अच्छी नींद की जरूरत होती है।
नींद और आई हेल्थ का कलेक्शन
उन्होंने आगे बताया कि अप्रत्यक्ष रूप से नींद की कमी हमारी टियर फिल्म को प्रभावित करती है और ड्राई आइज का कारण बनती है, क्योंकि लोग रात में नहीं सो पाते हैं या देर रात तक सोते हैं क्योंकि वे मोबाइल पर स्क्रॉल करते रहते हैं या टीवी देखते रहते हैं। इसलिए, यह बहुत ज्यादा स्क्रीन टाइण और खासकर स्क्रीन का इस्तेमाल किसी अंधेरे कमरे में करते हैं, तो अंधेरे कमरे में स्क्रीन की रोशनी, आंखों पर ज्यादा प्रेशर डालती है। इससे आंखें ज्यादा थक जाती हैं, उन पर ज्यादा दबाव पड़ता है और फिर आप सुबह नींद की कमी और आंखों के चिकनाई वाले पदार्थ की कमी के साथ उठते हैं।
इसलिए जरूरी पूरी नींद
इसलिए, आंखों समेत पूरे शरीर की रिकवरी के लिए 7-8 घंटे की अच्छी नींद जरूरी है और शरीर एक खास सर्कैडियन रिदम का आदि होता है, यानी आपको लगभग 10-11, शायद 12 बजे सोना चाहिए और 8 बजे उठना चाहिए, इसलिए 8 घंटे बाद उठें। मान लीजिए सुबह 3 बजे सोना और सुबह 10 बजे उठना शरीर के लिए एक जैसा नहीं है। अगर आपकी नींद का समय और पैटर्न अनियमित है, तो शरीर खुद को ठीक नहीं कर पाता, न ही खुद को रिकवर कर पाता है और न ही खुद को तरोताजा कर पाता है।
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